जम्मू & कश्मीर राज्य मानवाधिकार आयोग ने मुफ़्ती सरकार को उस व्यक्ति को 35 लाख रुपये का मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं जिसने 18 साल पहले एक आतंकवादी हमले में अपने परिवार के सात सदस्यों को गंवा दिया था। साथ ही आयोग ने कहा कि इस मामले में विलंब मानवाधिकारों के उल्लंघन के समान है।
पुंछ जिले के मेंढर निवासी रूप लाल ने जम्मू कश्मीर मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी कि दो जुलाई 1999 को उनके घर पर हमला हुआ था और आतंकवादियों ने उनके परिवार के सात सदस्यों को मार दिया लेकिन उसे राज्य से केवल एक लाख रुपये की अनुग्रह राशि मिली थी।
एसएचआरसी सदस्य जंग बहादुर सिंह जामवाल ने आयोग द्वारा कल जारी किए गए अपने आदेश में कहा, रिकार्ड की सावधानीपूर्वक जांच करने के बाद आयोग इस बात से संतुष्ट है कि शिकायतकर्ता ने 35 लाख रुपये तक के मुआवजे का सही मामला दायर किया है।
उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव को शिकायतकर्ता को उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या में प्रत्येक के लिए पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया जाता है।
जामवाल ने कहा कि लाल को पर्याप्त मुआवजा देने में सरकार की ओर से हुई देरी मानवाधिकारों के उल्लंघन के समान है। उन्होंने कहा कि यह घटना दुर्लभ है लेकिन मुआवजे की अदायगी से संबंधित अधिकारी शिकायर्ता के दुख और तकलीफ के बारे में अनभिज्ञ रहे। सरकार की विभिन्न लाभार्थी योजनाओं के तहत जो भी मुआवजा बाकी है उसे शिकायतकर्ता को दिया जाना चाहिए।