विभिन्न धार्मिक समूहों की महिलाओं के एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने लद्दाख के उपराज्यपाल आर के माथुर से मुलाकात की और लेह एवं करगिल की लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषदों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण समेत विभिन्न मांगों को उठाया।
प्रतिनिधिमंडल में लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन की महिला ईकाई, अंजुमन इमामिया, अंजुमन मोइन-उल-इस्लाम और क्रिश्चियन एसोसिएशन की प्रतिनिधि शामिल थीं। निर्णय निर्धारण के विभिन्न स्तरों पर महिलाओं के उचित प्रतिनिधित्व की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रतिनिधिमंडल ने उपराज्यपाल से लेह और करगिल पर्वतीय परिषदों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का अनुरोध किया।
इसके साथ ही विभिन्न जिलों और केंद्र शसित प्रदेश स्तर की समितियों और संगठनों में उन्हें शामिल करने का भी अनुरोध किया।उन्होंने उपराज्यपाल को घरेलू हिंसा की पीड़िताओं के लिए महिला हॉस्टल या गृह बनाने की आवश्यकता के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि इस कदम से महिलाओं को सामने आने और अपनी परेशानी शेयर करने की हिम्मत मिलेगी।
उपराज्यपाल ने महिला सशक्तिकरण के विषय पर विस्तृत प्रस्ताव और महिलाओं के सामने आने वाले संवेदनशील मुद्दों से निपटने के लिए प्रतिनिधिमंडल की सराहना की। साथ ही उन्हें उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा महिलाओं के लिए जल्द ही कड़े से कड़े कानून बनाए जाएंगे और महिलाएं सीधी किसी को अपने मन की बात कर सकें इसके लिए भी कोई योजना बनाई जाएगी।
महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने वाले बिल को संसद में पेश हुए 25 साल हो गए, लेकिन 2010 में राज्यसभा से पास होने के बाद भी यह बिल अंधेरों में ही पड़ा रहने को विवश है। लद्दाख में ही नहीं बल्कि बिहार और अन्य राज्यों में भी महिलाओं के आरक्षण को लेकर लगातार मांग उठती रही है।