देशव्यापी लॉकडाउन के कारण राजस्थान के कोटा में फंसे असम के 391 छात्रों की गृह वापसी के बाद 14 दिन के लिए क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है। असम के स्वास्थ्य मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने सोमवार को इस संबंध में जानकारी दी। सरमा और अन्य मंत्री पीयूष हजारिका सरूसाजई पृथक केंद्र में विद्यार्थियों का हाल-चाल जानने के लिए पहुंचे थे। ये विद्यार्थी तड़के सुबह तीन बजे सोमवार को बसों से यहां पहुंचे।
वापस आए सभी छात्रों को सरूसाजई क्वारंटाइन सेंटर और छात्राओं को तीन होटलों में रखा गया है। कोटा से गुरुवार को विद्यार्थियों ने 2,000 किलोमीटर की लंबी यात्रा शुरू की थी। मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के लिए कोटा देश के मुख्य कोचिंग केंद्रों में से एक है।
Interacted with the 391 students who have returned from Kota, Rajasthan at Sarusajai Stadium, Guwahati along with MoS @Pijush_hazarika at 5 am. Also, taught them the norms of 14 day mandatory quarantine which they need to observe now after a long journey to Assam. #AssamCares pic.twitter.com/OzLrSRJmt5
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) April 27, 2020
यहां देश के विभिन्न हिस्सों से विद्यार्थी विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं। सरमा ने बताया कि इन विद्यार्थियों को पृथक वास में रखना अनिवार्य किया गया क्योंकि ये राजस्थान से लौट रहे थे जो कि कोविड-19 का ‘रेड जोन’ है। इसके अलावा रास्ते में भी इनके संक्रमित होने की आशंका है।
राज्य सरकार ने इस यात्रा के लिए प्रति विद्यार्थी 7,000 रुपये की राशि ली है। कुल 17 बसों से इन्हें राज्य में लाया गया है। सरमा ने इससे पहले कहा था कि विद्यार्थियों की जांच इनके पहुंचने के पांचवें दिन की जाएगी। इसके बाद डॉक्टर निगेटिव जांच रिपोर्ट आने वाले विद्यार्थियों को छुट्टी देने और उन्हें नौ दिन की निगरानी में रखने संबंधी फैसला लेंगे।
उन्होंने कहा कि वैसे छात्र जो पहले से ही कोटा में पृथक वास में थे, वे किसी भी कोविड-19 मरीज के सीधे संपर्क में नहीं आए थे। राज्य सरकार ने राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल की राज्य सरकारों से बंद के दौरान बसों की आवाजाही की इजाजत मांगी थी।