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राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस ने केंद्र को घेरा

पवन खैरा ने कहा कि राफेल को खरीदने के लिए 2012 में मनमोहन सिंह की सरकार के समय करार हुआ था, जिसके तहत 126 विमान लाए जाने थे।

नैनीताल : राफेल विमान सौदे को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है, इन दिनों मोदी सरकार कांग्रेस के निशाने पर है। नैनीताल पहुंचीं नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खैरा ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह देश का सबसे बड़ा घोटाला है। पवन खैरा ने कहा कि राफेल को खरीदने के लिए 2012 में मनमोहन सिंह की सरकार के समय करार हुआ था, जिसके तहत 126 विमान लाए जाने थे।

जिसमें से केवल 18 विमान फ्रांस से आने थे और बाकी 108 विमान भारत की हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल कंपनी में बनने थे, लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद 2015 में फ्रांस से बगैर किसी सलाह लिए 36 राफेल खरीदने का फैसला लिया गया ।36 राफेल खरीदने के बाद मोदी के चहेते अंबानी की कंपनी को 1 लाख करोड़ का फायदा आने वाले 50 सालों तक मिलेगा। वहीं, कांग्रेस और गोविंद सिंह कुंजवाल के बीच चल रहे विवाद पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पार्टी के अंदर सब ठीक है। कभी-कभी होता है कि हमारी इच्छा के अनुरुप कोई काम नहीं होता तो उसका मतलब ये नहीं कि मीडिया में इस तरह की बातों को खबरों के माध्यम से दिखाया जाए। साथ ही हृदयेश ने कहा कि किसी एक व्यक्ति के द्वारा पार्टी नहीं चल सकती।

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कुंजवाल को नसीहत देते हुए कहा कि अगर पार्टी में मनमुताबिक काम न हो तो चुप रहना बेहतर है। वायु सेना को अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए कम से कम 42 लड़ाकू स्क्वाड्रन की जरूरत थी, लेकिन उसकी वास्तविक क्षमता घटकर महज 34 स्क्वाड्रन रह गई, इसलिए वायुसेना की मांग आने के बाद 126 लड़ाकू विमान खरीदने का सबसे पहले प्रस्ताव अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने रखा था। लेकिन इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाया कांग्रेस सरकार ने, जिसके मुखिया तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटोनी थे ।

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