पूर्वोत्तर राज्य मेघालय की कांग्रेस इकाई में बहुत बड़ी फूट हुई है। पार्टी के 12 विधायकों ने कांग्रेस का साथ छोड़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का दामन थाम लिया है। पार्टी में हुई इस टूट का ठीकरा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पर फोड़ा है।
अधीर रंजन चौधरी ने गुरुवार को इसकी जानकारी होने की बात कहते हुए कहा कि यह सब प्रशांत किशोर और टीएमसी के नेता लुइज़िन्हो फलेरियो कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि अगर ‘दीदी’ अभी सोनिया गांधी से मिलती हैं, तो पीएम मोदी नाराज हो जाएंगे। ईडी द्वारा उनके भतीजे को तलब किए जाने के तुरंत बाद उनकी हरकतें बदल गईं। इससे पहले उन्होंने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर भाजपा के खिलाफ मिलकर लड़ने की बात कही थी।
कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस को तोड़ने की ये साजिश सिर्फ मेघालय में ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर में हो रही है। मैं सीएम ममता बनर्जी को चुनौती देता हूं कि पहले उन्हें टीएमसी के चुनाव चिह्न पर चुनें और फिर औपचारिक रूप से उनकी पार्टी में उनका स्वागत करें।
मेघालय विधानसभा अध्यक्ष मेतबाह लिंगदोह को बुधवार देर रात कांग्रेस के 12 विधायकों के हस्ताक्षर वाला एक पत्र। उन्होंने अभी तक इस पत्र को स्वीकार नहीं किया है। लिंगदोह ने इस मामले में कहा कि “दसवीं अनुसूची के प्रावधानों में निहित प्रक्रियाओं के तहत निर्णय लिया जायेगा।”
12 विधायकों को मान्यता मिलते ही TMC बन जाएगा सबसे बड़ा विपक्षी दल
अगर विधानसभा अध्यक्ष लिंगदोह कांग्रेस के इन 12 विधायकों को मान्यता देते हैं, तो तृणमूल राज्य में सबसे बड़ा विपक्षी दल बन जायेगा, जो 2018 में विधानसभा में अपना खाता भी नहीं खोल पायी थी। इसके बाद सदन में विपक्ष का नेता संगमा होंगे। इस विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में संगमा की पत्नी दिक्कांची डी शिरा, उनकी बेटी मियानी डी शिरा और उनका छोटा भाई और पूर्व मंत्री जेनिथ संगमा शामिल हैं।
वहीं अन्य विधायकों में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष चार्ल्स पनग्रोप, पूर्व मंत्री शीतलांग पाले, प्रदेश के कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष मार्थन डी संगमा के अलावा जॉर्ज बी लिंगदोह, हिमालय शांगप्लियांग, जिमी डी संगमा, विनर्सन डी संगमा और लाजर एम संगमा ने भी पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।