दुनिया कोरोना वायरस की चपेट में आने से उभर ही रही थी कि एक और बीमारी देखने को मिल रही है। कोरोना वायरस के साथ साथ अब देश में म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस का खतरा भी बढ़ गया है। गुजरात में ब्लैक फंगस के 40 मामले सामने आ चुके हैं। कोरोना से ठीक हुए मरीजों में ब्लैक फंगस देखा गया है। गुजरात के सूरत में ब्लैक फंगस की वजह से 8 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। कोरोना की वजह से यह संक्रमण ज्यादा फैल रहा है और देर से इलाज मिलने से मरीज की मौत भी हो सकती है। सरकार ने संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए अलग वॉर्ड बनाया है ताकि समय रहते संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
सूरत स्थित किरण सुपर मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल के अध्यक्ष माथुर सवानी ने बताया कि कोविड-19 से तीन हफ्ते पहले ठीक हुए मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस (एक तरह का फंगल इंफेक्शन) का पता चला है। सवानी ने बताया, ‘यह संख्या 50 तक पहुंच गई है जबकि 60 और मरीज इसके इलाज का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि धर्मार्थ संस्था की ओर से संचालित उनके अस्पताल में सूरत और गुजरात के अन्य इलाकों से ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनमें म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण होने का पता चला है।
गुजरात के अलावा महाराष्ट्र में भी यह संक्रमण तेजी से फैल रहा है। हाल ही में मुंबई में 29 वर्षीय शख्स में म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) का संक्रमण देखा गया। यह शख्स कोरोना से ठीक हो चुका था। हालात ज्यादा बिगड़ने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी सर्जरी की गई। दिमाग में इन्फेक्शन को फैलने से रोकने के लिए डॉक्टरों को ऊपरी जबड़ा हटाना पड़ा। फिलहाल मुंबई में इस घातक संक्रमण के 18 मरीज भर्ती हैं।
कोरोना से संक्रमित मरीज या कोरोना से स्वस्थ्य हुए मरीजों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन देखा गया है। यह इंफेक्शन आमतौर पर उन लोगों में होता है जिनका शरीर किसी बीमारी से लड़ने में कमजोर होता है। इस इन्फेक्शन से आंखों में दर्द और सूजन की शिकायतें आने लगती है। जानकारी के मुताबिक, कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को इसका ज्यादा खतरा है। वहीं, डायबिटीज के पेशेंट भी इसकी चपेट में आ सकते हैं।