आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया कि भारतीय सेना ‘अग्निपथ’ योजना के तहत युवाओं की भर्ती में जाति को एक कारक के रूप में इस्तेमाल कर रही है। उनके इस आरोप का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खंडन करते हुए कहा कि यह केवल ‘‘एक अफवाह’’ है।
राजनाथ सिंह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए संसद परिसर में पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह एक अफवाह है। आजादी से पहले जो (भर्ती) व्यवस्था थी, वह अब भी जारी है और उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। आज भी वही पुरानी व्यवस्था जारी है।’’
दरअसल, संजय सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘(प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है। क्या मोदी जी दलितों/ पिछड़ों/ आदिवासियों को सेना में भर्ती के काबिल नहीं मानते? भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है। मोदी जी आपको अग्निवीर तैयार करना है या ‘‘जातिवीर’’।’’
मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है।
क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना भर्ती के क़ाबिल नही मानते?
भारत के इतिहास में पहली बार “सेना भर्ती “ में जाति पूछी जा रही है।
मोदी जी आपको “अग्निवीर” बनाना है या “जातिवीर” pic.twitter.com/fxgBre38Ft— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) July 19, 2022
आप नेता के इन आरोपों पर बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी ट्वीट करते हुए कहा कि सेना ने 2013 में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एक हलफनामे में स्पष्ट किया है कि वह जाति, क्षेत्र और धर्म के आधार पर भर्ती नहीं करती है। हालाँकि इसने प्रशासनिक सुविधा और परिचालन आवश्यकताओं के लिए एक क्षेत्र से आने वाले लोगों के समूह को एक रेजिमेंट में उचित ठहराया।
उन्होंने कहा कि हर चीज के लिए पीएम मोदी को दोष देने की इस सनक का मतलब है कि संजय सिंह जैसे लोग हर दिन मुंह में पैर रखते हैं। सेना की रेजीमेंट प्रणाली अंग्रेजों के जमाने से ही अस्तित्व में है। स्वतंत्रता के बाद, इसे 1949 में एक विशेष सेना आदेश के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया था। मोदी सरकार ने कुछ नहीं बदला।