चेन्नई : तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक ने नागरिकता (संशोधन) कानून को लेकर विपक्षी दल द्रमुक की आलोचना करते हुए शनिवार को उससे पूछा कि 17 साल केंद्र की सत्ता साझेदारी करने के दौरान क्या उसने श्रीलंका के तमिल शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दिए जाने के बारे में कभी एक शब्द भी कहा था। अन्नाद्रमुक ने अपने मुखपत्र ‘नमाधु अम्मा’ में एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली पार्टी की सहयोगी कांग्रेस पर भी निशाना साधा।
अन्नाद्रमुक ने आरोप लगाया कि स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस ने करीब 50 साल तक भारत में शासन किया और उसने शरणार्थियों के मुद्दे पर स्थायी समाधान के लिए कभी मदद नहीं की। उल्लेखनीय है कि नागरिकता (संशोधन) कानून में श्रीलंका से आए तमिल शरणार्थियों को नागरिकता दिए जाने पर विचार नहीं किया गया है और इसलिए द्रमुक इसका विरोध कर रहा है।
अन्नाद्रमुक ने पूछा कि क्या द्रमुक को कांग्रेस का ‘‘गुलाम’’ बनकर ‘‘राजनीतिक फायदा’’ उठाने की कोशिश करते शर्म नहीं आती, जिसका शरणार्थियों से संबंधित मुद्दों के समाधान पर पिछला रिकार्ड ऐसा रहा है। पार्टी ने जानना चाहा कि क्या द्रमुक सिर्फ अभी-अभी भारत में श्रीलंकाई तमिलों की दुर्दशा पर जागी है, जब केंद्र नागरिकता अधिनियम में संशोधन लेकर आया। अन्नाद्रमुक ने कहा कि यह कानून 130 करोड़ भारतीयों के कल्याण के लिए है।
अपनी धुर विरोधी पार्टी (द्रमुक) का उपहास उड़ाते हुए तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक ने पूछा कि क्या द्रमुक ने ‘‘करीब 17 साल केंद्र में सत्ता साझा करने के दौरान ईलम तमिलों को नागरिकता दिए जाने के संबंध कभी एक शब्द भी बोला।’’ ईलम का अर्थ मातृभूमि होता है और तमिलनाडु में ‘‘ईलम तमिल’’ शब्द का इस्तेमाल श्रीलंका के तमिल अल्पसंख्यकों को संबोधित करने के लिए किया जाता है।