कांग्रेस के बड़बोले वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने बुधवार को आरोप लगाया कि देश में एक समुदाय विशेष को ‘खलनायक’ बनाने का माहौल बनाया जा रहा है। इसके अलावा, उन्होंने एक कदम आगे बढ़कर फिर से विवादित बयान देते हुए कहा हैं कि पौराणिक धार्मिक पुस्तकों में हिंदुत्व जैसा कोई शब्द नहीं है और इसे राजनीतिक पहचान देने के लिए स्वतंत्रता सेनानी वी डी सावरकर ने गढ़ा था।
विशेष समुदाय को खलनायक बनाने का काम किया जा रहा हैं
दिग्विजय सिंह ने अपने आवास पर एक प्रेसवार्ता को सबोंधित करते हुए कहा हैं कि (हिन्दुत्व विचारक) सावरकर ने अपनी किताब में लिखा है कि यहां पर (भारत में) उसी को रहने का अधिकार है जिस धर्म की शुरुआत भारत में हुई हो। जो बाहर का धर्म है, वो विदेशी है। यदि इसी परिभाषा को आप लेंगे तो हमारे अमेरिका में रहनेवाले लोग क्या करेंगे? दुबई और पश्चिम एशिया में हमारे जो हिन्दू लोग काम कर रहे हैं, वे क्या करेंगे?’’
हिन्दुत्व के बारे में दिग्विजय बहस करने के लिए तैयार
दिग्विजय ने कहा, ‘‘यह कुंठित विचारधारा का एक उदाहरण है। हिन्दुत्व शब्द हमें कहीं दिखता नहीं, मिलता नहीं। न वेदों में है, न उपनिषदों में है, न पुराण में है। केवल हिन्दुत्व को एक राजनीतिक पहचान देने के लिए सावरकर ने शब्द ‘हिन्दुत्व’ ईजाद किया और खुद उन्होंने अपने किताब में लिखा है कि हिन्दू धर्म का हिन्दुत्व से कोई लेना देना नहीं है।’’कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘और आपने हिन्दुत्व को ही हिन्दू धर्म मान लिया, जबकि हिन्दुत्व मूल रूप से सनातन धर्म, परंपरा एवं हिन्दू धर्म के खिलाफ है। मैं हिन्दुत्व के बारे में बहस करने के लिए तैयार हूं।
पिता कभी नही हिन्दु महासभा के सदस्य
दिग्विजय ने कहा, ‘‘कई बार यह बताया जाता है कि मेरे पिताजी हिन्दू महासभा में थे। लेकिन मेरे पिताजी कभी हिन्दू महासभा में रहे ही नहीं।’’उन्होंने कहा, ‘‘यह भी कहा जाता है कि दिग्विजय सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में थे, लेकिन मैं कभी इसमें शामिल नहीं हुआ। जब मैं किसी पार्टी में नहीं था तो एक नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में मुझे आरएसएस के एक कार्यक्रम में बुलाया गया था, उसमें मैं जरूर गया था।
छात्र जीवन में कभी राजनीति में रूचि नही रही
दिग्विजय ने कहा, ‘‘मुझे अपने छात्र जीवन में राजनीति में कभी रुचि नहीं थी और यहां तक कि मैं छात्र राजनीति में वोट डालने भी नहीं जाता था।उन्होंने कहा, ‘‘मेरे परिवार में हमेशा से धार्मिक प्रवृत्ति के लोग रहे हैं। मेरी मां बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। इसलिए मैं भी बचपन से धार्मिक हूं। धार्मिकता मुझे बताने की आवश्यकता नहीं है।
दिग्विजय ने कहा, ‘‘आज भी जो मेरा गृह स्थान राघोगढ़ है, वहां पर अनेक मंदिर हैं। हमारे इन मंदिरों में दलितों का प्रवेश सन 1941-42 में करा दिया गया था, जबकि उस समय कोई सोच नहीं सकता था कि किसी मंदिर में दलितों के प्रवेश की भी स्वीकृति मिल जाएगी। इसके अलावा, हमारे राघवजी के मंदिर में जो द्वार है, उस द्वार पर उर्दू में लिखा हुआ है।
दिग्विजय ने स्वीकारा उन्होनें की थी हिन्दुओं के खिलाफ कार्रवाई
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने एक तरफ जहां कट्टरपंथी विचारधारा से प्रेरित हिन्दुओं के खिलाफ कार्रवाई की, वहीं कट्टरपंथी विचारधारा से प्रेरित मुसलमानों के खिलाफ भी कार्रवाई की, क्योंकि कट्टरपंथी ताकतें धर्म को हथियार बनाकर सियासी राजनीति करती हैं जबकि धर्म का सियासी राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।
दिग्विजय ने कहा कि सनातन धर्म सबको समानता से देखता आया है और यही सबसे बड़ी शक्ति है जिसका स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में अपने भाषण में उद्धरण दिया था और बाद में भी हर जगह उन्होंने अपनी बात कही।
अटल का उल्लेख कर कहा राजधर्म का पालन करे
उन्होंने कहा, ‘‘कोई देश विवादित ढंग से तरक्की नहीं कर सकता। अगर इस देश को विश्व गुरु बनाना है तो सबको साथ लेकर चलना पड़ेगा। पूरे भारत में अनेक धर्म, संप्रदाय, जातियां, उपजातियां हैं। कभी इस प्रकार की बात नहीं रही है। सबने मिलकर काम किया है। आजादी की लड़ाई सबने मिलकर लड़ी है। इसलिए धर्म का उपयोग एक राजनीतिक हथियार के रूप में किया जाए, हम उसके खिलाफ हैं।’’
कांग्रेस नेता ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 के गुजरात के दंगों के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक ही बात कही थी कि आप राजधर्म का पालन करिये, यानी सबको साथ लेकर चलिए।
भाषा रावत