असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद करीब 50 साल से चल रहा है। इसको लेकर दोनों राज्यों में कई बार तनाव की स्थिति पैदा हुई है। जिस वजह से असम और मेघालय की सरकार ने अपनी सीमा विवाद को सुलझाने को लेकर दोनों राज्यों के बीच हुए अंतरराज्यीय समझौते के क्रियान्वयन पर रोक लगाने के मेघालय हाई कोर्ट आदेश के खिलाफ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
सीमा विवाद को सुलझाने को लेकर दोनों राज्यों के बीच हुए अंतरराज्यीय समझौते पर असम, मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने हस्ताक्षर किए थे। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की ओर से दाखिल किए गए प्रतिवेदन पर गौर किया। इसमें कहा गया था कि मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है, क्योंकि उच्च न्यायालय की एकल और खंडपीठ ने उस अंतर-राज्यीय सीमा समझौते के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है जिस पर पिछले साल हस्ताक्षर किए गए थे। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, हम इस पर सुनवाई करेंगे। कृपया याचिका की तीन प्रतियां सौंपें।
क्या था अंतरराज्यीय सीमा समझौता ?
मेघालय उच्च न्यायालय की एक एकल पीठ ने असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों द्वारा हस्ताक्षरित एक अंतरराज्यीय सीमा समझौते के तहत जमीन पर भौतिक सीमांकन या सीमा चौकियों के निर्माण पर गत वर्ष नौ दिसंबर को अंतरिम रोक लगा दी थी। इसके बाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था जिस कारण दोनों राज्यों ने शीर्ष अदालत का रुख किया।
29 मार्च में एक समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा और असम के उनके समकक्ष हिमंत विश्व शर्मा ने दोनों राज्यों के बीच अक्सर तनाव उत्पन्न करने वाले 12 विवादित क्षेत्रों में से कम से कम छह के सीमांकन के लिए पिछले साल 29 मार्च में एक समझौता ज्ञापन पर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए थे।
12 सीमावर्ती स्थानों को लेकर विवाद कब शुरू हुआ?
असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद 50 साल पुराना है। हालांकि, हाल के दिनों में इसे हल करने के प्रयासों में तेजी लाई गई है। दोनों राज्यों की सीमा करीब 884.9 किमी लंबी है।असम से अलग करके 1972 में मेघालय का गठन किया गया था, लेकिन नए राज्य ने असम पुनर्गठन अधिनियम 1971 को चुनौती दी जिसके बाद 12 सीमावर्ती स्थानों को लेकर विवाद शुरू हुआ।