बंगाल उपचुनाव : तृणमूल स्थानीय मुद्दों, भाजपा नागरिकता संशोधन विधेयक पर दे रही जोर - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

बंगाल उपचुनाव : तृणमूल स्थानीय मुद्दों, भाजपा नागरिकता संशोधन विधेयक पर दे रही जोर

तृणमूल कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों और ममता बनर्जी सरकार के विकास के प्रयासों को सामने लाने के लिए हर निर्वाचन क्षेत्र के लिए अलग-अलग घोषणा-पत्र पेश किया है

पश्चिम बंगाल की तीन विधानसभा सीटों पर 25 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों और ममता बनर्जी सरकार के विकास के प्रयासों को सामने लाने के लिए हर निर्वाचन क्षेत्र के लिए अलग-अलग घोषणा-पत्र पेश किया है, जबकि भाजपा प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को लेकर बड़े पैमाने पर प्रचार कर रही है। 
नवगठित कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन केंद्र और राज्य सरकारों की ‘विफलताओं’, आर्थिक संकट और आवश्यक वस्तुओं के मूल्य वृद्धि जैसे मुद्दे को उछाल रहा है। यह उपचुनाव अप्रैल-मई के लोकसभा चुनाव के बाद राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के लिए पहला शक्ति परीक्षण होगा। 
रणनीति के एक बदलाव में कहा कहा जा रहा है कि यह चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर से प्रभावित है, और तृणमूल ने पहली बार उपचुनाव के लिए घोषणापत्र प्रकाशित किया है, वह भी तीनों निर्वाचन क्षेत्रों -खड़गपुर सदर, कालियागंज और करीमपुर के लिए अलग-अलग। तृणमूल नेताओं के अनुसार, पार्टी भाजपा की ओर से राम मंदिर, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और सांप्रदायिक आधार पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करके प्रस्तावित कैब के मुद्दे को उछालकर वोट पाने की योजना पर पानी फेरने के लिए तैयार है। 
हालांकि, हर जनसभा में तृणमूल नेता राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का मुद्दा उठा रहे हैं और इसका जिक्र कर रहे हैं कि असम में एनसीआर सूची से बाहर 19 लाख लोगों में से लगभग 12-13 लाख हिंदू हैं। लेकिन, तृणमूल के लिए प्रचार अभियान का मुख्य मुद्दा विकास है। 
तृणमूल के राज्यसभा सदस्य मानस भुनिया ने आईएएनएस से कहा, हमारी नेता ममता बनर्जी ने राज्य भर में बड़े पैमाने पर विकास सुनिश्चित किया है। उन्होंने समाज के लगभग हर वर्ग को लाभ पहुंचाने वाली कई सरकारी योजनाओं और कल्याणकारी परियोजनाओं की कल्पना की है और उन्हें लागू किया है। स्वाभाविक रूप से, हम इस पहलू पर जोर दे रहे हैं। खड़गपुर सदर में निर्वाचन क्षेत्र आधारित मुद्दों पर अपने फोकस के तहत, तृणमूल रेलवे के एक हिस्से का निजीकरण करने के लिए केंद्र के वादे पर ध्यान केंद्रित कर रही है। 
भुनिया ने कहा, विशेष रूप से खड़गपुर में भाजपा का असली चेहरा उजागर हो गया है। हाल ही के चुनाव में जिन लोगों ने भाजपा को वोट दिया था, वे अब पूरी तरह से उनसे कन्नी काट गए हैं। लोगों को अपनी नौकरी खोने का डर है। प्रदेश भाजपा महासचिव सायंतन बसु ने कहा कि कैब जाहिर तौर पर एक मुद्दा है। बसु ने आईएएनएस से कहा, हम इसे संसद में पारित कराना चाहते हैं और सभी हिंदुओं को नागरिकता का अधिकार देते हैं। 
हम लोगों को यह भी बताएंगे कि तृणमूल कैब का विरोध क्यों कर रही है। उन्होंने आगे कहा, लेकिन पश्चिम बंगाल में मुख्य मुद्दा तृणमूल का भ्रष्टाचार, अत्याचार, लोकतंत्र की कमी.. नौकरियों और व्यापार की कमी और खराब कानून-व्यवस्था है। यह पूछे जाने पर कि क्या उपचुनाव में एनआरसी भी एक मुद्दा है? बसु ने कहा, नहीं, हम कैब पर फोकस कर रहे हैं। 
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान एनआरसी पर भाजपा ने बहुत जोर दिया था। हालांकि, हाल ही में राज्य भर में देखा गया कि लोगों ने बेघर होने के डर के बीच तनाव के कारण कई लोगों ने खुदकुशी कर ली, जिसके बाद भाजपा के राज्य नेतृत्व ने जानबूझकर इस मामले को ज्यादा तवज्जो नहीं देने और हिंदू मतदाताओं को आश्वस्त करने के लिए कैब पर फोकस करने का फैसला किया है। 
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरने वाले अयोध्या मुद्दे के बारे में बसु ने कहा कि उनकी पार्टी प्रचार के दौरान इस मामले को नहीं उठा रही है। राज्य के जाने-माने कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य प्रदीप भट्टाचार्य ने राज्य और केंद्र सरकारों की ‘व्यापक विफलता’ के बारे में बात की। भट्टाचार्य ने आईएएनएस से कहा, कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन लोकतांत्रिक प्रणाली और संस्थानों के नष्ट होने और चावल, दाल और प्याज जैसे खाद्य पदार्थों के बड़े पैमाने पर मूल्य वृद्धि जैसे मुद्दों को रेखांकित कर रहा है। 
उन्होंने कहा कि बैंकों के ‘अस्थिर हालत’ में होने के साथ देश में अर्थव्यवस्था संकट भी प्रमुख मुद्दा है। अप्रैल-मई के लोकसभा चुनाव में तृणमूल को भाजपा से कड़ी टक्कर मिली थी, जहां भगवा पार्टी ने राज्य में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ 18 सीटों पर कब्जा कर लिया, जबकि 2014 में वह दो सीटों पर जीती थी। वहीं, 2014 में 34 सीटों पर जीतने वाली तृणमूल को 2019 में 22 सीटों पर संतोष करना पड़ा और कांग्रेस ने बंगाल की कुल 42 सीटों में से शेष दो सीटें जीतीं। 
आम चुनाव के दौरान, भाजपा ने खड़गपुर सदर और कालियागंज के विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई, जबकि करीमपुर में तृणमूल आगे रही थी। लोकसभा सीटों पर संबंधित सीटों से विधायकों के जीतने के बाद खड़गपुर सदर और करीमपुर सीटों पर उपचुनाव कराना आवश्यक हो गया, क्योंकि इन सीटों के विधायक लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन गए, जबकि कांग्रेस विधायक प्रमथ नाथ रे के निधन के बाद कालियागंज में उपचुनाव कराने की जरूरत आ पड़ी। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

19 − 13 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।