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विपक्ष ने की रेमडेसिविर की पूर्ति तो फार्मा कंपनी के निदेशक से पूछताछ कर रही महाराष्ट्र सरकार : फडणवीस

मुंबई पुलिस ने रेमडेसिविर दवा के कथित अत्यधिक भंडार को लेकर एक फार्मा कंपनी के निदेशक से पूछताछ की और आवश्यक दस्तावेज जमा करने के बाद उन्हें जाने दिया। एक पुलिस अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘उन्होंने कम से कम 60,000 शीशियां जमा कर रखी थीं। कोरोना वायरस के रोगियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली इस दवा की कमी की वजह से राज्य और केंद्र सरकार ने उन्हें इस माल को घरेलू बाजार में बेचने की इजाजत दी थी। हालांकि मूल रूप से यह निर्यात के लिए थी।’’

महाराष्ट्र में विपक्षी भाजपा ने मुंबई पुलिस द्वारा फार्मा कंपनी के निदेशक से पूछताछ किए जाने पर आपत्ति जताई है और कहा है कि राज्य की शिवसेना नीत सरकार महामारी के बीच राजनीति कर रही है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘‘हमने 4 दिन पहले ब्रुक फार्मा से रेमडेसिविर की आपूर्ति करने का अनुरोध किया था लेकिन तब तक अनुमति नहीं मिल पाने की वजह से वे ऐसा नहीं कर सके। मैंने केंद्रीय (रसायन और उर्वरक राज्य) मंत्री मनसुख मंडाविया से बात की थी और हमें एफडीए (खाद्य और औषधि प्रशासन) से मंजूरी मिल गई थी।’’

महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता फडणवीस ने दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) ने फार्मा कंपनी के अधिकारी को बुलाया था और उनसे पूछा कि वह विपक्षी दलों की अपील पर रेमडेसिविर की आपूर्ति कैसे कर सकते हैं। फडणवीस ने आरोप लगाया कि पुलिस कर्मियों ने फार्मा कंपनी के निदेशक को शनिवार रात उनके घर से पकड़ा था। फडणवीस ने इस कार्रवाई को ‘कल्पना से परे’ बताया।

भाजपा नेता ने कहा कि राज्य सरकार केंद्रशासित क्षेत्र दमन में रहने वाले फार्मा कंपनी के निदेशक को तंग कर रही है क्योंकि भाजपा नेताओं ने उनसे राज्य में रेमडेसिविर दवा की आपूर्ति के लिए संपर्क साधा था। फडणवीस ने कहा, ‘‘हमने (भाजपा नेताओं ने) महाराष्ट्र में रेमडेसिविर की कमी को देखते हुए ब्रुक फार्मा से संपर्क साधा था। हमने राज्य के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) मंत्री को भी सूचित किया था और आवश्यक अनुमति के लिए केंद्र सरकार से भी संपर्क किया था।’’

फडणवीस ने बताया कि महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं ने हाल ही में दमन जाकर ब्रुक फार्मा के अधिकारियों से मुलाकात की थी और उनसे निर्यात के लिए रखा गया माल महाराष्ट्र में बेचने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा,‘‘कंपनी की ओर से उन्हें बताया गया कि यदि केंद्र और राज्य सरकार मंजूरी देंगे तो वे पूरा माल महाराष्ट्र को बेच देंगे।’’ मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘रेमडेसिविर की आपूर्ति करने वाली एक फार्मा कंपनी के निदेशक से पुलिस ने शीशियों के भंडार के सिलसिले में पूछताछ की थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘विशिष्ट सूचना के आधार पर पुलिस ने फार्मा कंपनी के निदेशक को पकड़कर विले पार्ले में रखा था।’’ अधिकारी ने कहा कि दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगने के बाद उन्होंने उसकी कम से कम 60,000 शीशियों का भंडार जमा कर रखा था। राज्य और केंद्र सरकार ने उन्हें इसे घरेलू बाजार में बेचने की अनुमति दे दी है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने पाया कि उन्होंने किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया, हमने उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की। उनसे दवा के भंडार के बारे में पूछताछ की गयी जिसके बाद उन्होंने जरूरी दस्तावेज पेश कर दिये।’’

इस मामले में राजनीतिक तनातनी शनिवार सुबह उस समय शुरू हुई जब महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार रेमडेसिविर उत्पादकों पर महाराष्ट्र में उनका स्टॉक नहीं बेचने के लिए दबाव बना रही है। राज्य के भाजपा नेताओं के साथ ही केंद्र सरकार के दो मंत्रियों ने भी महाराष्ट्र सरकार पर पलटवार किया और इन आरोपों को ‘झूठा’ करार दिया। केंद्रीय मंत्रियों ने इसे महामारी पर सियासत करने की कोशिश करार दिया।फडणवीस ने कहा, ‘‘मलिक और कुछ मंत्रियों को कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे लोगों की परेशानियों से कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें सियासत में ज्यादा दिलचस्पी है।’’