नागरिकता (संशोधन) विधेयक के मुद्दे पर दो महीने पहले भाजपा से अपने संबंध समाप्त करने के बाद असम गण परिषद (अगप) अब भगवा दल के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ेगी। भाजपा महासचिव राम माधव, अगप अध्यक्ष अतुल बोरा और अन्य के साथ कल मध्यरात्रि के बाद तक चली बैठक में गठबंधन को अंतिम रूप दिया गया।
बुधवार की सुबह भाजपा के पूर्वोत्तर प्रभारी राम माधव ने ट्वीट किया, ”बैठक के बाद भाजपा और अगप ने आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हराने के लिए साथ काम करने का निर्णय लिया है।” उन्होंने कहा, ”गुवाहाटी में भाजपा के नेता हेमंत विश्व शर्मा और अगप के अतुल बोरा और केशव महंत की उपस्थिति में यह घोषणा हुई।”
राम माधव ने बताया कि गठबंधन में तीसरा सहयोगी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) है। गठबंधन के बाद बोरा ने संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस को हराने के लिए पहले के सहयोगी फिर से साथ आ गए हैं। हालांकि अगप प्रमुख ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक और चुनाव के दौरान इस मुद्दे पर पार्टी के रुख को लेकर पूछे गए किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया।
लोकसभा चुनाव 2019 : पूर्वोत्तर में कांग्रेस के खिलाफ भाजपा के लिए करो या मरो की स्थिति
अगप ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर कदम उठाने को लेकर असम में भाजपा सरकार से अपना समर्थन जनवरी में वापस ले लिया था। इस विधेयक में बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के गैर मुस्लिम लोगों को भारत में छह साल तक रहने के बाद नागरिकता देने की बात कही गई है। इसका विरोध करते हुए अगप ने सार्वजनिक तौर पर भाजपा नेतृत्व की आलोचना की थी।
असम में 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 14 सीटों में से सात पर जीत दर्ज की थी जबकि कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने तीन-तीन सीटों पर जीत दर्ज की। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली थी। बीपीएफ और अगप का कोई उम्मीदवार जीत नहीं पाया था। वहीं, राज्य में 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा, अगप और बीपीएफ ने मिलकर चुनाव लड़ा था और 2001 से राज्य की सत्ता पर लगातार काबिज कांग्रेस को हराया था।