हरिद्वार शहर सीट से भाजपा प्रत्याशी मदन कौशिक पांचवी बार बने विधायक - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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हरिद्वार शहर सीट से भाजपा प्रत्याशी मदन कौशिक पांचवी बार बने विधायक

विधानसभा चुनाव के घोषित हुए नतीजों में भाजपा को जनपद की 11 सीटों में से तीन पर ही संतोष करना पड़ा। जबकि प्रदेश के अन्य जिलों में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहा। इस बार चुनावों में यूं तो हर कोई अपनी जीत के दावे करता नजर आ रहा था, किन्तु चुनाव नतीजों से स्थिति स्पष्ट कर दी।

हरिद्वार, संजय चौहान (पंजाब केसरी): विधानसभा चुनाव के घोषित हुए नतीजों में भाजपा को जनपद की 11 सीटों में से तीन पर ही संतोष करना पड़ा। जबकि प्रदेश के अन्य जिलों में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहा। इस बार चुनावों में यूं तो हर कोई अपनी जीत के दावे करता नजर आ रहा था, किन्तु चुनाव नतीजों से स्थिति स्पष्ट कर दी।
जनपद की 11 सीटों में हरिद्वार शहर सीट से भाजपा प्रत्याशी मदन कौशिक को 52760 मत मिले, जबकि कांग्रेस के सतपाल ब्रहमचारी को 33518 वोट मिले। ब्रह्मचारी को 19242 से हार का सामना करना पड़ा। हरिद्वार ग्रामीण सीट से कांग्रेस की अनुपमा रावत ने भाजपा के स्वामी यतीश्वरानंद को 4475 वोटों से हराया। अनुपमा को 49782 व स्वामी यतीश्वरानंद भाजपा को 45307 वोट मिले। रानीपुर सीट से भाजपा प्रत्याशी आदेश चौहान को 55112 मत मिले। जबकि उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस के राजबीर चौहान को 42128 मतों से संतोष करना पड़ा। राजबीर को 12984 मतों से हार मिली। रूड़की से भाजपा के प्रदीप बत्रा को 36544 व कांग्रेस के यशपाल राणा को 34404 मत मिले। ज्वालापुर सीट से कांग्रेस के रवि बहादुर ने जहां 42172 मत प्राप्त किए वहीं भाजपा के सुरेश राठौर को 28796 मत मिले। सुरेश राठौर को 13376 वोटों से हार मिली। भगवानपुर से कांग्रेस प्रत्याशी ममता राकेश ने अपने देवर सुबोध राकेश बसपा को 5808 वोटों से हराया। ममता को 44666 मत व सुबोध राकेश को 39858 मत मिले। लक्सर से बसपा प्रत्याशी मौ. शहजाद ने 10420 मतों से हराया। शहजाद को 34778 मत व भाजपा के संजय गुप्ता को 24358 मत मिले। बसपा के मंगलौर से प्रत्याशी सरबत करीम अंसारी को 32286 मत मिले जबकि कांग्रेस प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन को 31625 मत मिले। काजी को 661 मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। झबरेडा से कांग्रेस प्रत्याशी वीरेन्द्र को 39370 मत मिले, जबकि भाजपा के राजपाल सिंह को 31208 मत प्राप्त हुए। राजपाल को 8162 मतों से हार मिली। उधर पिरान कलियर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी फुरकान अहमद ने जीत दर्ज की। उन्होंने भाजपा के मुनीष सैनी को 15735 मतों से हराया। फरकान को 43273 व मुनीष सैनी भाजपा को 27538 मत मिले। खानपुर सीट से निर्दलीय प्रत्याशी उमेश कुमार को 38640 मत मिले। उन्होंने बसपा के रविन्द्र सिंह को 6918 मतों से शिकस्त दी। उन्हें 31722 मत मिले। ———————————हरिद्वार शहर से पांचवी बार जीतने के बाद अपना प्रमाण पत्र लेते हुए विधायक मदन कौशिक।
हर बार मिली हार से कांग्रेस ने कभी नहीं लिया सबक
 प्रदेश की सबसे हॉट सीट हरिद्वार विधानसभा पर लगातार मिलती आ रही हार को लेकर कांग्रेस नेतृत्व ने कभी सबक लेना उचित नहीं समझा। राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पांचवीं बार के भाजपा विधायक मदन कौशिक के कुशल चुनाव प्रबंधन से लेकर बूथ-टीम मैनेजमेंट को भेदने के लिए कांग्रेस ने कभी दिलचस्पी ही नहीं ली। बल्कि हर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सीधे चुनाव मैदान में उतरकर हार का स्वाद चखती रही। इस दफा भी नगर में कांग्रेस का संगठन कहीं नजर आया और मैनेजमेंट की तो बात ही छोड़ दीजिए।
राज्य बनने के बाद कांग्रेस दो बार सत्ता में रही है। हरिद्वार विश्व प्रसिद्ध नगरी है। कांग्रेस के दिग्गज नेता सीएम रहे हरीश रावत खुद यहां से सांसद रहे हैं और कांग्रेस के दिग्गजों का जमावड़ा भी हरिद्वार शहर में गाहे बगाहे लगातार रहा है। लेकिन हरिद्वार शहर में गुटबाजी में उलझी कांग्रेस यहां कभी अपने पांव पर खड़े नहीं हो सकी। उत्तर प्रदेश के समय से कांग्रेस से जुड़े चेहरे यहां खुद एक दूसरे की टांग खिंचाई में मशगूल रहे। यही वजह रही कि कांग्रेस सत्ता में होने के बाद भी यहां संगठानात्मक ढांचा नहीं खड़ा कर सकी। पुराने दिग्गजों ने कभी युवा वर्ग को तवज्जो नहीं दी, मसलन शहर में अगर देखा जाए तो युवा लीडरशिप कांग्रेस पार्टी में दिखाई नहीं देती है। ऐसा नहीं है कि सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस ने अपने नेताओं को दर्जाधारी के पद से नहीं नवाजा। पर उसके बाद भी कांग्रेस नेताओं ने शहर में अपनी जमीन तैयार करने में कोई दमखम नहीं दिखाया। कांग्रेसी खुलेआम एक-दूसरे से उलझते रहे। यह साफ है, उसके बाद भी कांग्रेस नेतृत्व ने अनुशासनात्मक दंड देना तक ठीक नहीं समझा। कांग्रेसी गुटबाजी में उलझकर एक-दूसरे से दो-दो हाथ करने में जुटे रहे यही हर दफा भाजपा की जीत का आधार बनता रहा। कांग्रेस में भीतरघात के एक दो नहीं बल्कि कई उदाहरण है, ऐसे में कांग्रेस की शहर में जड़े कैसे मजबूत हो सकी है, यह यक्ष प्रश्न है।

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