छत्तीसगढ़ में 2023 में विधानसभा चुनाव होने वाले है इसी को लेकर बीजेपी पार्टी के लिए ये साल महत्वपूर्ण होने जा रहा है। बता दें कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी का गढ़ माना जाता है। आशंका लगाई जा रही है कि क्या भाजपा छत्तीसगढ़ की जनता का दिल जीत अपना गढ़ बना पाएगी। राज्य में मची हलचल से साफ हो गया है कि भाजपा का सीधा मुकाबला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से होने जा रहा है।
मुख्यमंत्री बघेल के कार्य
बघेल ने प्रदेश के निवासियों में छत्तीसगढ़ी पहचान जगाने का कार्य किया है उन्होंने हर आयोजन, अवसर और उत्सव को राज्य की पहचान से जोड़ा है. इसके साथ ही राज्य सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के प्रयास में कोई कसर नहीं छोड़ी है। राज्य में डेढ़ दशक तक सत्ता में रही भाजपा कांग्रेस की ताकत से वाकिफ है, यही वजह है कि उसने प्रदेश नेतृत्व में बड़े बदलाव किए हैं। भगवा पार्टी ने अजय जम्वाल को क्षेत्रीय महासचिव (संगठन) नियुक्त किया है, जबकि नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष का पद सौंपा गया है। इसके अलावा अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष और ओम माथुर को पार्टी का प्रदेश प्रभारी बनाया गया है।
छत्तीसगढ़ का चुनावी इतिहास
पार्टी प्रदेश की जनता के
बीच पहुंचकर न सिर्फ केंद्र सरकार की योजनाओं की खूबियां गिना रही है बल्कि भूपेश
बघेल सरकार के कार्यकाल में हुई कथित अनियमितताओं को भी उजागर कर रही है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य सन 2000 में अस्तित्व में आया और तब से यहां चार
विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इनमें से तीन चुनावों में भाजपा को जीत मिली, जबकि चौथे चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली. अब कांग्रेस लगातार मजबूत होती जा
रही है।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के पास कितनी सीटे
2018 के विधानसभा चुनाव
में कांग्रेस ने 90 विधानसभा सीटों में से 68 पर जीत हासिल की थी। पार्टी ने बाद
के उपचुनावों में अपने आधार को और मजबूत किया और वर्तमान में उसके 71 विधायक हैं, जबकि भाजपा के पास 14 विधायक हैं. इसके अलावा जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के तीन
और बहुजन समाज पार्टी के दो विधायक हैं. राज्य के सभी 14 नगर निकायों में कांग्रेस
का मेयर है।