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उत्तराखंड में भी दलित CM बनाने को लेकर राजनीति तेज, BJP बोली- हरीश रावत की कथनी और करनी में बड़ा फर्क

पंजाब कांग्रेस के प्रभारी के तौर पर वहां दलित सीएम के नाम का ऐलान करने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने अब अपने गृह राज्य में भी दलित सीएम का राग छेड़ दिया है।

पंजाब में दलित मुख्यमंत्री बनने के बाद अब उत्तराखंड में भी दलित मुख्यमंत्री बनाने को लेकर राजनीतिक विवाद तेज हो गया है। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी के तौर पर वहां दलित सीएम के नाम का ऐलान करने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने अब अपने गृह राज्य में भी दलित सीएम का राग छेड़ दिया है। हरीश रावत के इस बयान को लेकर भाजपा ने उन पर तीखा हमला बोला है।
भाजपा के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता और उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने कहा, “हरीश रावत की कथनी और करनी बिल्कुल अलग-अलग होती है। साल 2012 में जब उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनी थी तो उस समय उनके पास मौका था कि वो एक दलित को प्रदेश का मुख्यमंत्री बना सकते थे। लेकिन उस समय उन्होने अपनी ही पार्टी के दलित प्रदेश अध्यक्ष ( यशपाल आर्य ) का विरोध कर उन्हे सीएम नहीं बनने दिया था।
अनिल बलूनी ने कहा कि ”उस समय उन्होने दलित नेता को सीएम न बनने देने के लिए कई दिनों तक धरने का नाटक भी किया था। अगर वो विरोध न करते तो 2012 में ही उत्तराखंड को दलित मुख्यमंत्री मिल जाता । लेकिन वास्तव में हरीश रावत उस समय भी खुद सीएम बनना चाहते थे और आज भी सीएम बनना चाहते हैं।”
भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख ने कहा कि “हरीश रावत हमेशा तुष्टीकरण की ही बात करते हैं । कभी वो मुस्लिम तुष्टीकरण की बात करते हैं तो कभी इस तरह का बयान देते हैं। उनकी राजनीति इन्ही लफ्फाजियों पर चलती रहती है। आज भी वो उत्तराखंड के विकास पर बात करने की बजाय वोट को लूटने की योजना बनाने में ही लगे हैं।”
आपको बता दें कि यशपाल आर्य , 2007 से लेकर 2014 तक उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष थे और उन्ही के नेतृत्व में 2012 में कांग्रेस को प्रदेश में जीत हासिल हुई थी। उस समय यशपाल आर्य प्रदेश में सीएम बनने की रेस में सबसे आगे चल रहे थे लेकिन कांग्रेस में मचे राजनीतिक घमासान के बीच पहले विजय बहुगुणा को सीएम बनाया गया और उन्हे हटाने के बाद कांग्रेस आलाकमान ने हरीश रावत को प्रदेश में मुख्यमंत्री बना कर भेज दिया।
हाल ही में हरीश रावत ने यह बयान दिया था कि पंजाब में एक दलित को सीएम बनाकर कांग्रेस ने इतिहास रच दिया है और वो उत्तराखंड में भी एक दलित सीएम देखना चाहते हैं। दरअसल, उत्तराखंड विधानसभा की 70 में से 13 सीट दलितों के लिए आरक्षित है। दलित मतदाताओं के महत्व का अंदाजा इस से भी लगाया जा सकता है कि ये प्रदेश की 22 विधानसभा सीटों में जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं।

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