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MP : विधानसभा सत्र के पहले ही दिन BJP करेगी कांग्रेस सरकार के शक्ति परीक्षण की मांग

कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के त्यागपत्र देने के बाद कमलनाथ के नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश की कांग्रेस नीत सरकार के संकट में आ जाने के मद्देनजर प्रदेश भाजपा 16 मार्च से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के पहले ही दिन वर्तमान सरकार का शक्ति परीक्षण कराने की मांग करेगी।

कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के त्यागपत्र देने के बाद कमलनाथ के नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश की कांग्रेस नीत सरकार के संकट में आ जाने के मद्देनजर प्रदेश भाजपा 16 मार्च से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के पहले ही दिन वर्तमान सरकार का शक्ति परीक्षण कराने की मांग करेगी। वहीं कांग्रेस इस शक्ति परीक्षण के लिए ज्यादा से ज्यादा समय लेने के लिए तमाम तरीके अपनाने की जुगत लगाएगी। 
इस संबंध में कांग्रेस के विधि प्रकोष्ठ के प्रमुख चेयरमैन एवं राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने यहां गुरूवार को प्रेस कांफ्रेंस में स्पष्ट संकेत देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश के बंधक बनाये गये इन कांग्रेस विधायकों की तलाश में बेंगुलरू गये प्रदेश के दो मंत्रियों को कर्नाटक की पुलिस द्वारा मारपीट कर गिरफ्तार करने के मामले में हम उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। उन्होंने कहा था कि भाजपा से लोकतंत्र को खतरा है। 
उन्होंने कहा कि दोनो मंत्री बागी विधायकों की तलाश में बेंगलुरू गये थे। उनके ऐसे कथन से अटकलें लगायी जा रही हैं कि कांग्रेस अपनी सरकार के शक्ति परीक्षण को ज्यादा से ज्यादा समय लेने के लिए लटकाना चाहती है। 
वहीं, भाजपा ने गुरूवार को कहा कि उनकी पार्टी 16 मार्च से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में सबसे पहले इस सरकार का शक्ति परीक्षण कराने की मांग करेगी, क्योंकि कांग्रेस के 22 विधायकों के त्यागपत्र देने के बाद कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई है। 
भाजपा विधायक दल के सचेतक नरोत्तम मिश्रा एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां गुरुवार को संवाददातओं से कहा, ‘‘प्रदेश कांग्रेस सरकार अपना बहुमत खो चुकी है। वह अब अल्पमत में आ गई है। इसलिए हम राज्यपाल महोदय और विधानसभा अध्यक्ष से 16 मार्च को विधानसभा सत्र के शुरू होने पर, सरकार का शक्ति परीक्षण कराने की मांग करेंगे।’’ 
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश विधासभा के 228 विधायकों में से कांग्रेस के 22 विधायकों ने अपने त्यागपत्र राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिए हैं। कांग्रेस के 22 विधायकों के त्यागपत्र यदि मंजूर हो जाते हैं तो विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या घटकर 206 हो जाएगी और बहुमत का आंकड़ा 104 हो जाएगा। कांग्रेस के पास अपने 92 विधायक बचेंगे, जबकि भाजपा के विधायकों की संख्या 107 है। 
मालूम हो कि मध्यप्रदेश विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं, इनमें से वर्तमान में दो खाली हैं। इनमें से कांग्रेस के विधायकों की संख्या 114 एवं भाजपा के 107 हैं, जबकि कांग्रेस को समर्थन दे रही बसपा के दो विधायक, सपा का एक एवं चार निर्दलीय विधायक हैं। 

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