देश में कोरोना वायरस का कहर अभी भी जारी है और दूसरी तरफ विशेषज्ञों का मानना है कि अभी कोरोना वायरस महामारी से आजादी नहीं मिलेगी। तो वहीं, देश में रोजाना चालीस हजार के करीब नए मामले सामने आ रहे है। ऐसे में लोगों को वैक्सीन जल्द से जल्द लगवानी चाहिए, ताकि कोरोना को हराना संभव हो सकें।
इसी बीच बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से सोमवार को प्रश्न किया कि कोरोना वायरस संक्रमण रोधी टीके की दोनों खुराक ले चुके लोगों को मुंबई में लोकल ट्रेनों में यात्रा करने की इजाजत क्यों नहीं दी जा सकती। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने कहा कि अगर संक्रमण रोधी टीके की खुराक लेने के बाद भी नागरिकों से घरों के अंदर रहने की उम्मीद की जाती है तो टीके की दोनों खुराक लेने का मतलब ही क्या है।
पीठ ने महाराष्ट्र के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणि के कथन पर यह सवाल किया। कुंभकोणि ने पीठ को सूचित किया था कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार सभी अधिवक्ताओं, न्यायिक क्लर्क और अदालत के कर्मचारियों को लोकल ट्रेनों में यात्रा करने की अनुमति देने का ‘इच्छुक’ नहीं है।
इस समय केवल अग्रिम मोर्चे के कर्मचारी और सरकारी कर्मचारियों को ही लोकल ट्रेनों का इस्तेमाल करने की अनुमति है।
अदालत वकीलों और आम लोगों की ओर से दाखिल जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें वकीलों को अदालतों और अपने कार्यालयों तक पहुंचने के लिए लोकल ट्रेनों और मेट्रो से यात्रा की मंजूरी देने का अनुरोध किया गया है। फिलहाल मामले की अगली सुनवाई पांच अगस्त को होगी।
इसी बीच बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से सोमवार को प्रश्न किया कि कोरोना वायरस संक्रमण रोधी टीके की दोनों खुराक ले चुके लोगों को मुंबई में लोकल ट्रेनों में यात्रा करने की इजाजत क्यों नहीं दी जा सकती। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने कहा कि अगर संक्रमण रोधी टीके की खुराक लेने के बाद भी नागरिकों से घरों के अंदर रहने की उम्मीद की जाती है तो टीके की दोनों खुराक लेने का मतलब ही क्या है।
पीठ ने महाराष्ट्र के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणि के कथन पर यह सवाल किया। कुंभकोणि ने पीठ को सूचित किया था कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार सभी अधिवक्ताओं, न्यायिक क्लर्क और अदालत के कर्मचारियों को लोकल ट्रेनों में यात्रा करने की अनुमति देने का ‘इच्छुक’ नहीं है।
इस समय केवल अग्रिम मोर्चे के कर्मचारी और सरकारी कर्मचारियों को ही लोकल ट्रेनों का इस्तेमाल करने की अनुमति है।
अदालत वकीलों और आम लोगों की ओर से दाखिल जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें वकीलों को अदालतों और अपने कार्यालयों तक पहुंचने के लिए लोकल ट्रेनों और मेट्रो से यात्रा की मंजूरी देने का अनुरोध किया गया है। फिलहाल मामले की अगली सुनवाई पांच अगस्त को होगी।