कोरोना वायरस के चलते जेल में भीड़-भाड़ कम हो इसके लिए बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को निचली अदलातों को जेल प्रशासन द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर तेजी से फैसला करने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति के के तातेड की पीठ ने यह निर्देश तब दिया जब राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि जेल के 14,400 कैदियों को अस्थायी जमानत देने के लिए मजिस्ट्रेट के सामने याचिकाएं दायर की गयी हैं।
सरकार ने सोमवार को एक हलफनामा दाखिल कर कहा कि येरवडा, तलोजा और धुले जेलों में प्रत्येक में कोरोना वायरस से एक-एक कैदी की मौत हुई है। महीने की शुरुआत में मुंबई की आर्थर रोड जेल में 158 कैदी और 26 कर्मचारी संक्रमित पाए गए थे। राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि इसके बाद जेल प्रशासन ने साफ-सफाई के लिए कदम उठाए और सामाजिक दूरी को बनाए रखने के लिए कम से कम 14,000 कैदियों को बाहर भेजने की जरूरत है।
उच्च न्यायालय पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी (पीयूसीएल) और अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिकाओं में राज्य में आर्थर रोड तथा अन्य जेलों में कैदियों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने के निर्देश का अनुरोध किया गया। उच्च न्यायालय ने जेल प्रशासन को सप्ताह में एक बार कैदियों को अपने परिजनों और वकीलों से बात करने की अनुमति देने को कहा।
प्रशासन ने अदालत को बताया कि वे वीडियो कॉलिंग सुविधा की भी व्यवस्था करेंगे क्योंकि लॉकडाउन के कारण कैदी अपने परिजनों से नहीं मिल पा रहे। अदालत ने जेल के भीतर रह रहे कैदियों में संक्रमण की जांच का विवरण भी देने को कहा है। अदालत को बताया गया कि आर्थर रोड जेल में संक्रमण के 158 मामले और तीन कैदियों की मौत के अलावा सतारा में 10 कैदी, धुले में चार, भायखला केंद्रीय कारागार में एक व्यक्ति में संक्रमण की पुष्टि हुई है।