पूरे देश में राम मंदिर को लेकर चल रही बहस के बीच अब मध्यप्रदेश की सियासत में सीता मंदिर को लेकर बहस शुरु हो गई है। दरअसल राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्यकाल के दौरान साल 2010 में श्रीलंका में मां सीता का मंदिर बनाने की घोषणा की थी।
घोषणा के मुताबिक रावण ने श्रीलंका में जिस स्थान पर मां सीता को रखा था, वहां उनका मंदिर बनाने की बात कही गई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज चौहान इस विचार को आगे बढ़ने के लिए श्रीलंका के दौरे पर भी गए थे। हालांकि लंबा समय बीतने के बाद भी इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्य नहीं होने के बाद अब कमलनाथ सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री के इस पर बयान ने इस मुद्दे को एक बार फिर हवा दे दी है।
राज्य के आध्यात्म विभाग के मंत्री पी सी शर्मा ने इस बारे में संवाददाताओं से कहा कि शिवराज चौहान वाहवाही लूटने श्रीलंका गए थे। शिवराज ने उस स्थान पर मंदिर बनाने की बात की थी, जहां रावण ने सीता माता को रखा था। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने आध्यात्म विभाग का रिकॉर्ड देखा तो पता चला कि पूर्ववर्ती सरकार ने इस पर कोई काम नहीं किया है।
पी सी शर्मा ने कहा कि वे वस्तुस्थिति की जानकारी ले रहे हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री वहां गए तो उन्होंने क्या किया। इसी दौरान उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस ने जो कहा है, पार्टी वो करेगी। इसी क्रम में राम वनगमन पथ का भी नक्शा बना लिया गया है। कांग्रेस सरकार के इस कदम पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कहा कि पूरी दुनिया जिस सच को जानती है, उसके बारे में कांग्रेस सरकार सर्वे कराने की बात कर रही है।
शिवराज चौहान ने 2010 में ये मंदिर बनाने की घोषणा की थी। लंबे समय तक इस पर कोई काम नहीं हुआ। श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे साल 2013 में मध्यप्रदेश के सांची आए, तब राज्य सरकार की उनसे इस बारे में बात हुई। बाद में शिवराज चौहान ने दावा किया कि मंदिर के लिए श्रीलंका सरकार के साथ ही केंद्र सरकार से भी अनुमति मिल गई है। हालांकि इसके बाद भी अब तक इस परियोजना पर कोई काम नहीं हुआ।