पश्चिम बंगाल में लगातार हो रही हिंसाओं के बीच शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव करवाना निर्वाचन आयोग के लिए एक बड़ी चुनौती है। चुनावों से पहले निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा के नेतृत्व में एक टीम ने सभी दलों के नेताओं और आला अधिकारियों के साथ मुलाकात की। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सुनील अरोड़ा ने बताया कि बहुत से दलों ने कानून और व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंता जताई है।
सुनील अरोड़ा ने कहा कि राजनीतिक दलों के साथ चर्चा के बाद ज्यादातर ने कहा कि चुनावों में बड़ी संख्या में सीएपीएफ की तैनाती की जाए और पोलिंग स्टेशन पर वीडियोग्राफी हो ताकि सुरक्षित वोटिंग हो सके। उन्होंने सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए भी कहा।
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पश्चिम बंगाल में 78,903 वोटिंग सेंटर थे। अतिरिक्त वोटिंग सेंटर 22,887 होंगे। अब कुल 1,01,790 वोटिंग सेंटर होंगे। इस बार सभी वोटिंग सेंटर ग्राउंड फ्लोर पर होंगे। यह दिव्यांगजनों को ध्यान में रखकर और वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए किया गया है।
उन्होंने बताया कि हमें मुख्य सचिव, डीजीपी और गृह सचिव से आश्वासन मिला है कि मतदान से संबंधित किसी भी कार्रवाई के लिए कहीं भी कोई सिविक पुलिस नहीं होगी। बंगाल में जो परिस्थितियां बन रही हैं, उससे यहां पर शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराना चुनाव आयोग के लिए बड़ी चुनौती है।’
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की 294 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव इसी साल होने हैं। इसके साथ ही बंगाल में सत्ता परिवर्तन होने के संकेत है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कार्यकाल 30 मई को समाप्त हो रहा है। राज्य की सत्ताधारी टीएमसी की जड़ों को उखाड़ फेंकने के लिए बीजेपी लगातार जोर आजमाइश में लगी हुई है। वहीं राज्य में अपनी पैठ बैठा रही बीजेपी को रोकने के लिए टीएमसी हर संभव प्रयास में लगी हुई है।