छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले की एक अदालत ने अपनी नाबालिग सौतेली बेटी के साथ बलात्कार करने के आरोप में 47 वर्षीय व्यक्ति को तथा अपराध की अनदेखी करने के आरोप में मां को 20-20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
विशेष लोक अभियोजक मोरिशा नायडू ने बताया कि रायपुर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश :प्रथम फास्ट ट्रैक विशेष अदालत: राजीव कुमार की अदालत ने शुक्रवार को बालिका के सौतेले पिता को उसके साथ बलात्कार का दोषी पाते हुए 20 वर्ष के कारावास तथा 70 हजार रूपए के जुर्माने की सजा सुनाई है।
नायडु ने बताया कि अदालत ने अरोपी की पत्नी को अपराध के दौरान वहां उपस्थित होने तथा अनदेखी करने का दोषी पाया है तथा उसे भी 20 वर्ष कारावास और 50 हजार रूपए जुर्माना की सजा सुनाई है। उन्होंने बताया कि यह घटना पिछले साल मई महीने तब सामने आई थी जब 10 वर्षीय पीड़िता को खमरडीह इलाके के एक बाल गृह में भर्ती कराया गया था। पीड़िता ने परामर्श के दौरान बाल गृह के अधीक्षक को अपनी आपबीती सुनाई थी।
अधिवक्ता ने बताया कि इसके बाद बाल गृह के अधीक्षक ने पिछले वर्ष पांच मई को स्थानीय पंडरी पुलिस थाना में मामला दर्ज कराया था। जिसके बाद मामले को माना पुलिस थाना स्थानांतरित कर दिया गया था। माना पुलिस थाना क्षेत्र में ही आरोपी ने बालिका के साथ वर्ष 2018 और 2019 के मध्य बलात्कार किया था।
नायडु ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में बलात्कार और लैंगिक अपराधों से बालकों का सरंक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। अपने बयान में बालिका ने कहा था कि उसके सौतेले पिता ने वर्ष 2018 और 18 अप्रैल, 2019 के बीच माना क्षेत्र में स्थित अपने निवास स्थान में उसके साथ लगातार दुष्कर्म किया था। जब उसने अपनी मां को घटना के संबंध में बताया तब उसने अनसुना कर दिया। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष 22 अप्रैल को बालिका की मां ने बालिका को बाल गृह भेज दिया था।