पत्नी के साथ जबरन बनाया गया शारीरिक संबंध रेप की श्रेणी में नहीं आता, भले ही वह बलपूर्वक किया गया हो। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने गुरुवार को मैरिटल रेप मामले में सुनवाई करते हुए पति को वैवाहिक बलात्कार (मैरिटल रेप) के आरोपों से मुक्त कर दिया।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के साथ पति द्वारा यौन संबंध या कोई भी यौन कृत्य बलात्कार नहीं है, भले ही यह बलपूर्वक अथवा पत्नी के इच्छा के विरुद्ध किया गया हो।” हालांकि कोर्ट ने व्यक्ति के खिलाफ अपनी पत्नी से अप्राकृतिक रूप से शारीरिक संबंध बनाने के आरोप में उसके खिलाफ धारा 377 के तहत मामला दर्ज किया है।
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गौरतलब है कि मैरिटल रेप यानी वैवाहिक बलात्कार को लेकर लोगों की धारणाएं अलग-अलग हैं। कई लोग इसे अपराध मानते हैं तो कई लोगों को इसमें कुछ गलत नहीं नजर आता। दुनिया के कई देशों में यह कानून की नजर में दंडनीय अपराध है।
लेकिन सामान्य शब्दों में कहें तो वैवाहिक बलात्कार भी घरेलू हिंसा का ही एक विकृत रूप है। इसका अर्थ पत्नी की सहमति के बगैर उसके साथ यौन संबंध बनाना अथवा ऐसा करने के लिए विवश करने से है। लेकिन भारतीय दंड संहिता में पूरी तरह से इसकी व्याख्या नहीं की गई है।