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शिवराज ने कमलनाथ द्वारा लागू किए पंचायतों के परिसीमन को किया निरस्त, पुरानी व्यवस्था से होंगे चुनाव

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ द्वारा लिए गए उस फैसले को निरस्त कर दिया है जो पंचायतों को परिसीमन से संबंधित था। अब राज्य में पंचायतों के चुनाव पुरानी व्यवस्था के मुताबिक ही होंगे।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ द्वारा लिए गए उस फैसले को निरस्त कर दिया है जो पंचायतों को परिसीमन से संबंधित था। अब राज्य में पंचायतों के चुनाव पुरानी व्यवस्था के मुताबिक ही होंगे। मुख्यमंत्री के इस फैसले के बाद कांग्रेस के प्रवक्ता सैयद जाफर ने उन पर सवाल उठाए है। उन्होंने कहा, शिवराज सरकार विधायकों की खरीद-फरोख्त करके सत्ता में आई है और अब यह गांव स्तर पर लोकतंत्र को खत्म कर रही है। गौरतलब है कि, राज्य में सोमवार की देर शाम को राजपत्र में मध्य प्रदेश पंचायत राज्य एवं ग्राम स्वराज (संषोधन) अध्यादेश, 2021 जारी किया गया है। इसके मुताबिक कमलनाथ सरकार का फैसला बदलते हुए पंचायतों का नया परिसीमन निरस्त कर दिया गया है। इसके चलते अब पुरानी व्यवस्था से चुनाव होंगे।
कमलनाथ सरकार ने सिंतबर 2019 में किया था परिसीमन 
इस अधिसूचना के मुताबिक ऐसी पंचायतें, जहां परिसीमन तो हो गया है लेकिन उसके प्रकाशन से एक साल के भीतर चुनाव नहीं कराए गए हैं, तो इस परिसीमन को निरस्त माना जाएगा। इस अधिसूचना से ठीक वैसी ही व्यवस्था लागू हो जाएगी, जो परिसीमन के पहले थी। इससे आरक्षण भी वैसा ही रहेगा, जैसा पूर्व में था। यह व्यवस्था उन पंचायतों में लागू नहीं होगी, जिनमें परिसीमन से बदलाव किया गया था। ज्ञात हो कि, कमलनाथ सरकार ने सिंतबर 2019 में जिला पंचायत से लेकर ग्राम पंचायतों तक नया परिसीमन किया था। 
कांग्रेस प्रवक्ता ने उठाए सवाल 
कमलनाथ ने करीब 1200 नई पंचायतें बनाई थी, जबकि 102 ग्राम पंचायतों को समाप्त कर दिया गया था। सरकार ने दो साल पहले जो परिसीमन कर पंचायतों की संख्या 23 हजार से बढ़ाकर 24 हजार से ज्यादा कर दी थी। इस तरह 12 सौ से ज्यादा अतिरिक्त नई ग्राम पंचायतें बनी थी। साथ ही चुनाव की प्रक्रिया शुरू की थी, जिसे शिवराज सरकार ने दो साल बाद निरस्त कर दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता जाफर ने सवाल उठाया है कि, आखिर दो साल बाद शिवराज सरकार ने यह फैसला क्यों लिया है। अगर ऐसा करना ही था तो इसके लिए इंतजार क्यों किया गया। वास्तव में सरकार इन चुनावों को टालना चाहती है और गांव स्तर पर लोकतंत्र केा खत्म करना चाहती है, इसलिए इस तरह के हथकंडे अपना रही है।

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