मध्यप्रदेश में इन दिनों काम के साथ नाम बदलने पर ज्यादा जोर है। मांग भोपाल के ईदगाह हिल्स से उठी थी लेकिन शुरुआत हुई हबीबगंज स्टेशन से। अब लिस्ट लंबी होती जा रही है। रोज इसमें नये नाम जुड़ते जा रहे हैं। ताजा नाम भोपाल स्थित मिंटो हॉल यानि पुराने विधान सभा भवन और प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर का है।
एमपी में नाम बदलने की सियासत किसी रेलगाड़ी की तरह चल पड़ी है। भोपाल में हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति किया जा चुका है। इंदौर के पातालपानी स्टेशन, बस स्टैंड और चौराहे का नाम टंट्या भील किया जा रहा है।उसके बाद अब भोपाल में पुरानी विधानसभा जिसे मिंटो हॉल के नाम से जाना जाता है उसका नाम बदलने की मांग उठी है। उधर इंदौर के नाम की भी चर्चा चल पड़ी है।
मिटों हॉल का नाम बदलने की मांग
दरअसल, एक जमाने में मध्य प्रदेश की विधानसभा रही ऐतिहासिक इमारत मिंटो हॉल का नाम बदलने की चर्चा उठी है। बीजेपी के प्रदेश महामंत्री रजनीश अग्रवाल ने मिंटो हॉल का नाम बदलकर महान शिक्षाविद डॉ. हरिसिंह गौर के नाम पर रखने की मांग की है। उन्होंने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि ”भोपाल स्थित पुरानी विधानसभा के मिंटो हॉल का नाम महान शिक्षाविद, सागर में विश्वविद्यालय के संस्थापक सहित कई विश्वविद्यालयों के पूर्व कुलपति और संविधान सभा के उपसभापति रहे डॉ हरिसिंह गौर के नाम पर करने का सविनय आग्रह सीएम शिवराज सिंह चौहान से हैं।”
रजनीश अग्रवाल ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि ”26 नवंबर को देश संविधान दिवस के रूप में मनाता है और यही दिन डॉ हरिसिंह गौर की जयंती का भी है। यह नामकरण शिक्षा,साहित्य कानून और सामाजिक सरोकारों पर सार्थक कार्य करने वालों को एक प्रेरणा पुंज के तौर पर कार्य करेगा।” यानि अब भोपाल में मिटों हॉल का नाम बदलने की मांग की है।
कांग्रेस ने की टंट्या भील के नाम की सिफारिश
खास बात यह है कि बीजेपी की तरह कांग्रेस ने भी मिंटो हॉल का नाम बदलने की मांग का समर्थन किया है, लेकिन कांग्रेस ने मिंटो हॉल का नाम टंटया मामा के नाम पर रखने की मांग की है, कांग्रेस नेता नरेंद्र सलूजा ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि ”हम आजादी का 75 वां अमृत महोत्सव मना रहे हैं। गुलामी के प्रतीक भोपाल के मिंटो हाल का नाम बदलकर मामा टंटया भील के नाम पर कर देना चाहिये. यह उनके बलिदान दिवस पर सच्चा तोहफा होगा। भाजपा की अगली कार्यसमिति की बैठक भी वही होना है, उसमें भी यह प्रस्ताव पारित होना चाहिये।”
यानि कांग्रेस नाम बदलने की बात तो कह रही है, लेकिन नाम को लेकर सजेसशन दूसरे नेता का दिया है। ऐसे में अब यह मामला दिलचस्प होता जा रहा है कि अगर मिंटो हॉल का नाम बदला जाता है, तो इमारत का नया नाम क्या होगा।
क्या है मिंटो हॉल का इतिहास
दरअसल, कभी मध्य प्रदेश की पहली विधानसभा रही मिंटो हॉल इमारत को अंग्रेजों को समय में तैयार किया गया था. इसकी नींव 12 नवंबर 1909 में रखी गई थी, ऐसा इसलिए क्योंकि भारत के तात्कालीन वायसराय लॉर्ड मिंटो भोपाल के दौरे पर पहुंचे थे, उस वक्त उन्हें राजभवन में रुकवाया गया, लेकिन उन्हें यहां की व्यवस्थाएं ठीक नहीं लगी और वह इस बात से नाराज हो गए, जिसके बाद भोपाल के नवाब सुल्तानजहां बेगम ने एक हॉल बनवाने का फैसला किया जिसकी नींव उन्होंने वायसराय लॉर्ड मिंटो से रखवाई।
इस इमारत को बनने में करीब 25 साल लग गए, जिसे पूरा बेगम के बेटे नवाब हमीदुल्ला खान ने पूरा करवाया. इस तरह भोपाल की यह भव्य इमारत तैयार हुई जिसका नाम वायसराय लॉर्ड मिंटो के नाम पर रखा गया और तब से यह भव्य इमारत मिंटो हॉल के नाम से जानी जाती है। लेकिन अब इस इमारत के नाम बदलने की चर्चा शुरू हो गई है। बता दें कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब मिंटो हॉल का नाम बदलने की मांग उठी हो इससे पहले भी इसका नाम बदलने की मांग उठ चुकी है।