गुजरात में विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी आम आदमी पार्टी (आप) को भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने बड़ा झटका दिया है। करीब 4 महीने पहले ‘आप’ के साथ गठबंधन का ऐलान करने वाली बीटीपी ने अब गठबंधन तोड़ने की घोषणा कर दी है। इस बीच कांग्रेस बीटीपी के साथ गठबंधन करने का संकेत दे रही है। लेकिन स्थानीय कार्यकर्ता पार्टी की इस इच्छा के खिलाफ हैं।
दरअसल, कांग्रेस का मानना है कि अगर बीटीपी सभी 27 आदिवासी आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ती है, तो वह पार्टी की संभावनाओं को तोड़ सकती है। आदिवासी बेल्ट उत्तर से दक्षिण गुजरात तक फैली हुई है, जिसमें कांग्रेस ने 2017 के चुनाव में 15 सीटें जीती थीं। कांग्रेस के चार विधायक पिछले पांच वर्षों में पाला बदल कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं।
जिला पंचायत चुनावों में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया
पार्टी के सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ता और डेडियापाड़ा और झगड़िया के नेता बीटीपी के साथ किसी भी गठबंधन के खिलाफ हैं। सूत्रों ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को इस बार अपने दम पर बेहतर करने का भरोसा है। भरूच जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष परिमलसिंह राणा ने कहा, बीटीपी के गढ़ में कांग्रेस ने तालुका और जिला पंचायत चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया है, पार्टी को बीटीपी के साथ गठबंधन क्यों करना चाहिए।
उनका विचार है कि यदि पार्टी का राज्य और राष्ट्रीय नेतृत्व स्थानीय कार्यकतार्ओं और नेताओं की इच्छा के विरुद्ध निर्णय लेता है, तो इसका पार्टी कैडर के मनोबल पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है। तापी जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भीलाभाई गामित ने कहा, “चाहे जो भी हो, तापी जिले में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता अकेले चुनाव लड़ेंगे, अगर बीटीपी के साथ गठबंधन किया जाता है।”
उन्होंने कहा, “कांग्रेस काडर बीटीपी से कहीं ज्यादा मजबूत है। हमने पार्टी के लिए चौबीसों घंटे काम किया है। पार्टी बीटीपी के साथ गठबंधन करके हमें हतोत्साहित नहीं कर सकती।” वरिष्ठ आदिवासी नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखराम राठवा ने कहा, कोई भी गठबंधन राज्य और राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा तय किया जाता है,”मुझे इसका पालन करना होगा।”