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कांग्रेस नेता कमलनाथ ने चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का किया रूख

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय का रूख कर, निर्वाचन आयोग द्वारा उनका ‘स्टार प्रचारक’ का दर्जा रद्द किये जाने संबंधी फैसले को चुनौती दी।

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय का रूख कर, निर्वाचन आयोग द्वारा उनका ‘स्टार प्रचारक’ का दर्जा रद्द किये जाने संबंधी फैसले को चुनौती दी। आयोग ने मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए प्रचार के दौरान आदर्श आचार संहिता के बार-बार उल्लंघन को लेकर कांग्रेस नेता कमलनाथ का ‘स्टार प्रचारक’ का दर्जा शुक्रवार को रद्द कर दिया था।
चुनाव आयोग के 30 अक्टूबर के आदेश को रद्द करने के अनुरोध के अलावा कांग्रेस नेता ने ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और लोकतांत्रिक चुनाव की अवधारणा को ध्यान में रखते हुए’’ स्टार प्रचारकों या प्रचारकों द्वारा प्रचार के दौरान भाषणों के लिए उचित दिशा-निर्देश तैयार करने का भी अनुरोध किया है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने अपनी याचिका में कहा कि चुनाव आयोग ने 13 अक्टूबर को दिए गए एक भाषण के खिलाफ भाजपा की एक शिकायत के आधार पर बिना किसी नोटिस या सुनवाई के आदेश पारित किया है। 
‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ वरुण चोपड़ा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘(ईसी) का आदेश अवैध, मनमाना और अनुचित है जिसे नैसर्गिक न्याय के बुनियादी नियमों का पूरी तरह से उल्लंघन और निष्पक्षता की उपेक्षा कर पारित किया गया है और इसलिए इसे खारिज किया जाना चाहिए।
इसके अलावा याचिकाकर्ता (कमलनाथ) को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है।’’ इससे पहले दिन में वरिष्ठ वकील और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने बताया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने आयोग के फैसले को विभिन्न आधारों पर चुनौती दी है और याचिका पर तत्काल सुनवाई का आग्रह किया जायेगा।
निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को ‘‘नैतिक और गरिमामय व्यवहार’’ के कथित उल्लंघन पर संज्ञान लिया था और कांग्रेस नेता का ‘‘स्टार प्रचारक’’ का दर्जा रद्द कर दिया था। अपनी याचिका में कमलनाथ ने दावा किया है कि भाजपा के नेता उपचुनावों के लिए प्रचार के दौरान आदर्श आचार संहिता का ‘‘उल्लंघन कर बार-बार बयान दे रहे हैं।’’
याचिका के अलावा, एक आवेदन भी दायर किया गया है जिसमें याचिका के अंतिम निस्तारण तक चुनाव आयोग के 30 अक्टूबर के आदेश पर रोक लगाये जाने का आग्रह किया गया है। आयोग ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘…आदर्श आचार संहिता के बार-बार उल्लंघन और उन्हें (कमलनाथ को) जारी की गई सलाह की पूरी तरह से अवहेलना को लेकर आयोग मध्य प्रदेश विधानसभा के वर्तमान उपचुनावों के लिए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का, राजनीतिक दल के नेता (स्टार प्रचारक) का दर्जा तत्काल प्रभाव से समाप्त करता है।’’
आयोग ने कहा था कि कमलनाथ को स्टार प्रचारक के रूप में प्राधिकारियों द्वारा कोई अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, अब से यदि कमलनाथ द्वारा कोई चुनाव प्रचार किया जाता है तो यात्रा, ठहरने और दौरे से संबंधित पूरा खर्च उस उम्मीदवार द्वारा वहन किया जाएगा जिसके निर्वाचन क्षेत्र में वह चुनाव प्रचार करेंगे।’’
चुनाव आयोग ने कहा था कि उसने इस मामले पर गंभीरता से विचार किया और अप्रसन्नता के साथ महसूस किया कि एक राजनीतिक दल का नेता होने के बावजूद कमलनाथ बार-बार आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों तथा नैतिक और गरिमामय व्यवहार का उल्लंघन कर रहे हैं।’’
आयोग ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ उनकी टिप्पणी का उल्लेख किया। उन्होंने एक हालिया चुनावी कार्यक्रम में एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ माफिया और मिलावट खोर’ शब्दों का इस्तेमाल किया था।
आयोग ने पिछले हफ्ते कमलनाथ को चुनाव प्रचार में आइटम जैसे शब्दों का उपयोग नहीं करने को कहा था। कमलनाथ ने एक रैली में मंत्री और भाजपा उम्मीदवार इमरती देवी पर निशाना साधने के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया था। आयोग ने 29 सितम्बर को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की थी और आदर्श चुनाव आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू हो गई थी। उपचुनाव के लिए प्रचार अभियान एक नवम्बर को समाप्त हो जायेगा।

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