मध्य प्रदेश में कोरोना वैक्सीन की पहली खेप पहुंच चुकी है और 16 जनवरी से वैक्सीनेशन शुरु होने वाला है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना महामारी के संक्रमण के दौरान मिले जनसमर्थन की तरह वैक्सीनेशन में भी सहयोग की अपेक्षा व्यक्त करते हुए कहा कि यह वैक्सीन किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है।
मुख्यमंत्री चौहान ने संभागायुक्त और जिलाधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से चर्चा करते हुए कहा कि, “कोरोना वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन आ गई है, जो किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है। नागरिकों को क्रमानुसार इसका लाभ मिलेगा। टीकाकरण के प्रथम चरण में करीब सवा चार लाख हेल्थ केयर वर्कर्स को टीका लगाया जाएगा। जिन्होंने हम सभी की जिंदगी बचाने का कार्य किया है। कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों पूरी तरह सुरक्षित हैं।”
मुख्यमंत्री चौहान ने आह्वान किया कि, “जिलों के प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि, मीडिया इसके बारे में किसी भ्रामक जानकारी या अफवाहों को न पनपने दें और इस महाभियान को सभी मिलकर सफल बनाने में सहयोग दें। 16 जनवरी को पहला टीका किसी सफाई कर्मचारी को लगाने का प्रयास है। यह सफाई कर्मियों की सेवाओं का सम्मान भी होगा, जो कोरोना के संकटकाल में उन्होंने प्रदान की हैं।”
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि, “प्रदेश में कोरोना से बचाव की वैक्सीन लगाने का कार्य 16 जनवरी से प्रारंभ होगा। यह दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान होगा। केंद्र सरकार द्वारा वैक्सीन की सेफ्टी की पुष्टि की गई है। प्रत्येक नागरिक को दो डोज लगेंगे। पहला डोज लगने के इसे 28 दिन के पश्चात फिर लगाया जाएगा। इसके 14 दिन पश्चात मानव शरीर में एंटी बॉडी का निर्माण होगा। टीका लगने के बाद तत्काल प्रभाव नहीं होता है।”
चौहान ने कहा, “प्रदेश में जिलावार वैक्सीन का आवंटन किया गया है। शिकायत और सुझाव प्राप्त करने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं। शासकीय अस्पतालों के साथ ही निजी अस्पतालों को भी वैक्सीन लगाने के लिए चिन्हित किया गया है।”वैक्सीन लगाए जाने के बाद होने वाली एलर्जी का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, ‘किसी को यदि वैक्सीन के बाद छोटी-मोटी एलर्जी भी हो तो उस दशा में घबराने की आवश्यकता नहीं है।’
चर्चा की शुरुआत में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव के मोहम्मद सुलेमान ने वैक्सीनेशन के संबंध में बताया कि भारत में बनाई गई स्वदेश की वैक्सीन को देश-विदेश के उत्कृष्ट वैज्ञानिक संस्थाओं ने गहन परीक्षण और विश्लेषण के बाद स्वीकृत किया है। कई महीनों की मेहनत के बाद भारत में यह दो वैक्सीन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन स्वीकृत की गई है।