हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में 4 साल बाद मासूम युग के हत्याकांड में कोर्ट ने तीन आरोपियों को दोषी करार दे दिया। दोषियों की सजा पर 13 अगस्त को बहस होनी है। लंबे इंतजार के बाद युग के परिजनों को इंसाफ मिला है। गौरतलब है कि इस दिल दहला देने वाले अपहरण और हत्या के मामले को सुलझाने में शिमला पुलिस नाकाम रही थी। उसके बाद राज्य सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। युग के हत्यारों विक्रांत बख्शी, तेजेंद्र सिंह और चंद्र शर्मा ने मासूम को तीन महीने तक टॉर्चर किया, फिर जिंदा उसे पानी के टैंक में फेंक दिया।
14 जून 2014 को शिमला के राम बाजार से 4 साल के मासूम युग का अपहरण किया गया था। बदले में साढ़े तीन करोड़ की फिरौती मांगी थी। दरिंदों ने मासूम युग का अपहरण किया और फिर जाखू में एक घर में लेकर गए। जानकारी के मुताबिक, घर में युग को एक बेड बॉक्स के भीतर बंद रखा गया। कई दिन तक खाना नहीं दिया। जबरदस्ती शराब पिलाई और बेरहमी से पिटाई की। करीब 3 महीने तक मासूम को ऐसी ही यातनाएं देते रहे। बाद में जब फिरौती नहीं मिली तो युग को पत्थर से बांध कर भराड़ी में पानी के टैंक के भीतर जिंदा ही फेंक दिया।
दो साल बाद 22 अगस्त 2016 को युग का कंकाल मिला। इस पूरे भयानक हत्याकांड से स्थानीय लोगों में रोष था। 20 अगस्त 2016 को सीबीआई ने विक्रांत बख्शी को गिरफ्तार किया और उसके बाद 22 अगस्त 2016 को उसकी निशानदेही के आधार पर CBI ने शिमला के भराड़ी टैंक से बच्चे का कंकाल बरामद किया था। उसी दिन दूसरे आरोपियों चंद्र शर्मा और तेजेंद्र पाल को भी गिरफ्तार कर लिया गया था।
जांच में पाया गया कि जिस पानी के टैंक में बच्चे की लाश फेंकी गई थी, उसका पानी शिमला के लोग कई महीने तक पीते रहे। मामले की जांच कर रही सीबीआई ने 25 अक्टूबर 2016 को शिमला के डिस्ट्रिक्ट एवं सेशन कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। 4 सालों से न्याय का इंतजार कर रहे युग गुप्ता के परिजनों को अब बेसब्री से 13 अगस्त 2018 के दिन का इंतजार है। जब दोषी पाए गए तीनों आरोपियों के खिलाफ सजा का ऐलान किया जाएगा।