दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई करने वाले हाई कोर्ट के जज न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर के ट्रांसफर को लेकर माकपा ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा रही है। वहीं माकपा ने गुरुवार को कहा कि न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर ट्रांसफर इसलिए किया गया क्योंकि उनके कोर्ट ने नफरत वाले भाषण देने वाले बीजेपी नेताओं को बचाने के प्रयास के लिए दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी।
माकपा ने कहा कि न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर का दिल्ली हाई कोर्ट से ट्रांसफर इसलिए किया गया क्योंकि उनके कोर्ट ने नफरत वाले भाषण देने वाले बीजेपी नेताओं को बचाने के प्रयास के लिए दिल्ली पुलिस को फटकार लगायी थी। वाम दल ने मांग की है कि सरकार बुधवार रात अधिसूचित ट्रांसफर आदेश को कुछ समय के लिए रोक दे ताकि न्यायिक प्रणाली में लोगों का भरोसा फिर से बहाल हो।
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न्यायमूर्ति मुरलीधर की पीठ ने बीजेपी के प्रवेश वर्मा, कपिल मिश्रा और अनुराग ठाकुर द्वारा दिए गए नफरत वाले कथित भाषणों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में दिल्ली पुलिस की ‘‘नाकामी’’ पर नाराजगी जाहिर की थी। न्यायमूर्ति मुरलीधर का ट्रांसफर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के लिए कर दिया गया।
माकपा ने एक बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की सिफारिश पर ट्रांसफर हुआ, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने इस पर विरोध जताया था। बयान में कहा गया कि ऐसा लगता है कि दिल्ली हाई कोर्ट में कल जो हुआ उसके जवाब में इसका क्रियान्वयन जल्दबाजी में किया गया।
तथ्य तो वही है कि न्यायमूर्ति मुरलीधर के नेतृत्व वाली पीठ ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान और बाद में नफरती भाषण देने वाले बीजेपी नेताओं को बचाने के प्रयास के लिए दिल्ली पुलिस के प्रति नाराजगी जाहिर की। बयान के मुताबिक, माकपा का पोलित ब्यूरो सरकार से अनुरोध करता है कि ऐसे समय जब भरोसा खत्म हो रहा है, देश के न्यायिक तंत्र के प्रति लोगों का विश्वास फिर से बहाल करने के लिए ट्रांसफर आदेश को कुछ समय के लिए रोका जाए।