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मोदी सरकार पर बरसी भाकपा (माले)

भाकपा (माले) आगामी लोकसभा चुनाव में वाम एकता को केन्द्र में रखकर मोदी सरकार की शहीदों की लाश पर युद्धोन्माद की राजनीति के विरुद्ध कारगर हस्तक्षेप करेगी।

हल्द्वानी : भाकपा (माले) आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड के अंदर वाम एकता को केन्द्र में रखकर मोदी सरकार की शहीदों की लाश पर युद्धोन्माद की राजनीति के विरुद्ध कारगर हस्तक्षेप करेगी। पार्टी राज्य कार्यालय में हुई भाकपा(माले) उत्तराखंड राज्य कमेटी की बैठक में पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद दो दिनी बैठक को संबोधित करते हुए पार्टी के उत्तराखंड राज्य सचिव कामरेड राजा बहगुणा ने कहा कि 2014 में नरेन्द्र मोदी ने देश की जनता को जो सब्जबाग दिखाए थे वह बुरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं।

उनका कहना था कि हर मोर्चे पर विफल सरकार देश के लिए एक आपदा साबित हुई है। उन्होंने कहा कि, नोटबंदी, जीएसटी, रफ़ाल घोटाला, बेतहाशा बढ़ती बेरोजगारी तथा मजदूर-किसानों के चौतरफा आक्रोश से घिरी सरकार के पास युद्धोन्माद ही चुनाव वैतरणी पार करने का ही सहारा रह गया है। उनका कहना था कि सच्चाई तो यह है कि मोदी राज में आतंकवादी घटनाएं बेतहाशा बढ़ गई है। पुलवामा त्रासदी देश की सुरक्षा प्रणाली की सबसे बढ़ी असफलता है जिसके लिए गृह मंत्री व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।

उन्हें नैतिक आधार पर इस हादसे की जिम्मेदारी लेकर अपने पदों से त्याग पत्र दे देना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस दिन से पुलवामा में आतंकी हमला हुआ है प्रधानमंत्री का ध्यान केवल वोटों पर हैं। अंधराष्ट्रवाद की आड़़ में देश के सारे बुनियादी सवालो को पीछे धकेला जा रहा है। यहां तक कि शहीद सीआरपीएफ के जवानों को शहीद का दर्जा देने व पेंशन देने के सवाल पर भी मोदी सरकार चुप्पी साध गई है।

जिस दिन पुलवामा में आतंकी हमला हुआ पूरा देश शोक में डूब गया था, लेकिन प्रधानमंत्री का चुनाव प्रचार नहीं थमा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक बुलाकर खुद उसमें आने के बजाय चुनावी रैली को संबोधित करना ज्यादा जरूरी समझा। इसी से समझ में आ जाता है कि उनके मन में शहीदों के लिए कितना सम्मान हैं। उन्होंने कहा कि युद्धोन्माद की आड़ में देश के भीतर रहने वाली अल्पसंख्यकों की बड़ी आबादी को इसका निशाना बनाया जा रहा हैं।

पुलवामा की घटना के बाद देहरादून से लेकर पूरे देश में कश्मीरी छात्रों, व्यापारियों पर हुए हमले में यह स्पष्ट रूप से देखा गया। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद कश्मीर के हालात बदतर होते चले गए हैं। माले राज्य सचिव ने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए देश की सुरक्षा प्रणाली को चाक चौबंद करने की जरूरत है। साथ ही कश्मीर समस्या को बंदूक के स्थान पर बातचीत के आधार पर राजनीतिक समाधान निकालने के लिए गंभीर प्रयास करने की जरूरत है।

राजा बहुगुणा ने कहा कि देश में लाल झंडे ने ही फासीज्म के विरुद्ध जमीनी स्तर पर अनवरत संघर्ष चलाया है। इसलिए आगामी चुनाव में भी लाल झंडे का कारगर व एकताबद्ध प्रयास समय की मांग है। राज्य कमेटी की बैठक में दो दिन तक देश की राजनीतिक परिस्थिति व लोकसभा चुनाव पर विस्तार से चर्चा की गई। जरूरत महसूस की गई कि लोकसभा चुनावों में फासीवादी निज़ाम के खिलाफ जनता के सवालों को विमर्श के केंद्र में लाने के लिये लोकसभा चुनाव में लाल झंडे की दावे की मांग है।

बैठक में कहा गया कि लाल झंडा आगामी चुनाव में आम जन के बुनियादी सवालों के साथ ‘युद्ध नहीं शांति चाहिए, हर हाथ को काम चाहिए’ नारे को बुलंद करेगा। साथ ही उन्माद व उत्पात की राजनीति का प्रबल विरोध करेगा। बैठक में फैसला लिया गया कि इसी सप्ताह भाकपा (माले), माकपा और भाकपा तीनों कम्युनिस्ट पार्टियां संयुक्त बैठक कर उत्तराखंड में अपने साझा उम्मीदवार की घोषणा करेंगी।

– संजय तलवाड़

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