कोरोना वायरस पर अंतिम प्रहार को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आह्वान के अगले ही दिन शुक्रवार से इंदौर जिले में महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए जनता कर्फ्यू (आंशिक लॉकडाउन) को आठ दिन के लिए सख्त कर दिया गया। इंदौर राज्य में महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित जिला है। अधिकारियों ने बताया कि जिला प्रशासन के आदेश के मुताबिक 28 मई तक न केवल थोक व खुदरा किराना दुकानें बंद रहेंगी, बल्कि इस अवधि में फल-सब्जियों की खरीद-फरोख्त पर भी पाबंदी रहेगी।
हालांकि, कुछ कंपनियों के जरिए सुबह छह बजे से शाम पांच बजे तक किराना सामान की घर-घर आपूर्ति की जा सकेगी। प्रशासन के आदेश को लेकर सोशल मीडिया पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं और लोग खासकर फल-सब्जी बेचने वाले व्यक्तियों तथा किसानों को होने वाले नुकसान का हवाला देते हुए कर्फ्यू में सख्ती की आलोचना कर रहे हैं।
इस बीच, भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने अपने गृह जिले में प्रशासन के इस आदेश की ओर इशारा करते हुए ट्वीट किया कि आखिर क्या जरूरत है एक अलोकतांत्रिक और तानाशाही भरे निर्णय को इंदौर जैसे अनुशासित शहर पर थोपने की? जिस निर्णय की सर्वत्र निंदा हो रही हो उस पर पुनर्विचार होना ही चाहिए , प्रशासन और जन प्रतिनिधियों को मिलकर विचार करना चाहिए।
उधर, जिलाधिकारी मनीष सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि इंदौर में कोरोना वायरस संक्रमण लगातार कम हो रहा है। वर्तमान में जो सख्ती की गई है, वह संक्रमण पर अंतिम प्रहार है। उम्मीद है कि इससे हालात में और सुधार होगा तथा एक जून के बाद आर्थिक गतिविधियों को धीरे-धीरे प्रारंभ किया जा सकेगा।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री चौहान ने राज्य में कोविड-19 के खिलाफ गठित आपदा प्रबंधन समूहों को गुरुवार को इंदौर से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था, हमारा लक्ष्य है कि हम किसी भी हालत में 31 मई तक कोरोना वायरस पर अंतिम प्रहार कर दें, ताकि जनता कर्फ्यू का सामना कर रहे राज्य में एक जून से जन-जीवन को धीरे-धीरे सामान्य करने की ओर कदम बढ़ाए जा सकें।