कोटद्वार : बहुप्रतीक्षित लालढ़ाग-चिलरखाल मोटर मार्ग के डामरीकरण का शिलान्यास वन मंत्री डा हरक सिंह रावत ने किया। इस मौके पर वन मंत्री ने कहा कि इस मार्ग में डामरीकरण पूरा होने के बाद भाबर के लोगों की जहां राज्य के भीतर से हरिद्वार और देहरादून के लिए आवाजाही शुरू हो जाएगी, वहीं उद्घोगों को भी पंख लगेंगे।
उन्होंने कहा कि पिछले 60 सालों से लोग इस मार्ग के निर्माण की मांग कर रहे थे, जो अब जाकर उनके कार्यकाल में पूरी हो सकी है। आज चिलरखाल में आयोजित शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डा. हरक सिंह रावत ने कहा कि 11 किमी. लंबे इस मार्ग का लालढांग की ओर से तीन किमी मार्ग की वनभूमि लोनिवि को हस्तांतरित करने के बाद तीन पुलों का निर्माण शुरू कर दिया गया है।
कहा कि छह माह के भीतर पूरी सड़क को हॉटमिक्स में बनाने का लक्ष्य तय किया गया है और इस बरसात से पहले लालढांग मार्ग के तीनों पुल भी बन जाएंगे। हरिद्वार ग्रामीण के विधायक स्वामी यतीश्वरानंद जी महाराज ने इस मार्ग कसे खुलवाने का श्रेय डा. हरक सिंह रावत को देते हुए कहा कि वह जो भी कहते हैं वह कर के भी दिखाते हैं।
कहा कि वह स्वयं इस मार्ग से यात्रा करने के बाद कोटद्वार पहुंचे हैं और पहली बार यात्रा करने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई। जिला पंचायत अध्यक्ष दीप्ति रावत ने कहा कि इस मार्ग का निर्माण होना अपने आप में ऐतिहासिक है। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद जनसमूह का आभार जताते हुए कहा कि अब लोगों को कई तरह की सौगातें मिलने वाली हैं।
इस मौके पर पूर्व जिपं उपाध्यक्ष सुमन कोटनाला, ओएसडी विनोद रावत, भुवनेश खर्कवाल, प्रकाश भारद्वाज, बीरेंद्र रावत, पूर्व नपा अध्यक्ष रश्मि राणा, गीता बुड़ाकोटी और डीएफओ वैभव कुमार आदि मौजूद रहे।
मंच पर फफककर रो पड़े हरक सिंह
यूं तो हरक के आंसू छलकना आम बात है लेकिन कोटद्वार की जनता आज इसकी साक्षी बनी। मौका था लालढांग-चिलरखाल मोटर मार्ग निर्माण के शिलान्यास कार्यक्रम का। मंच पर बैठे वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत लगातार सिसक रहे थे। लेकिन माइक पर आते ही उनके आंसू गिरने लगे।
उन्होंने कहा कि जो काम अभिभाजित उत्तर प्रदेश और उत्तराखेड के राज्य गठन के 18 साल में नहीं हो सका वह काम उन्होंने सरकार बनने के डेढ़ साल के भीतर कर दिखाया। शिलान्यास कार्यक्रम में काबीना मंत्री फुल फार्म में नजर आए।
उन्होंने कहा कि जनता ने उन्हें विधानसभा में भेज दिया लेकिन अब जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी। हर वक्त लालढांग-चिलरखाल मार्ग की पीड़ा सताती थी कि कैसे इसको पक्का किया जाएगा। जनता ने उन्हें जो जिम्मेदारी दी थी वह अब सिद्घबाबा के आर्शीवाद से पूरी हो गई है।