नैनीताल : भाजपा सरकार एनएच-74 घोटाला मामले में अफसरों के खिलाफ कार्रवाई को सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का सबसे बड़ा प्रमाण बता रही है जबकि इस घोटाले की जांच कर रही एसआइटी की सुस्ती अब अभियोजन पक्ष की कार्रवाई में तकनीकी पेंच फंसा रही है। आइपीएस सदानंद दाते के तबादले के बाद इस मामले की जांच में आई सुस्ती पर सवाल उठ रहे हैं। एनएच घोटाला मामले में विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण नरेंद्र दत्त की कोर्ट में बिल्डर प्रिया शर्मा व सुधीर चावला पर आरोप तय हो चुके हैं।
इस घोटाले की जांच कर रही एसआइटी ने मुख्य आरोपित डीपी सिंह समेत 11 अफसर-कर्मचारियों व अन्य के खिलाफ जबकि दूसरे मामले में एसडीएम अनिल शुक्ला समेत छह के खिलाफ पंतनगर थाने में मुकदमा दर्ज किया है। एसआइटी दोनों मामलों में आरोपितों के खिलाफ एंटी करप्शन कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है। इसके अलावा किसान विक्रमजीत सिंह व एक अन्य के मामले में भी चार्जशीट दायर हो चुकी है, मगर आरोपित पीसीएस अफसर तीर्थपाल सिंह व चार अन्य के खिलाफ अब तक चार्जशीट दायर नहीं हुई है।
किसान हरबिंदर के खिलाफ अदालत ने सम्मन आदेश भी पारित किया मगर अब तक एसआइटी द्वारा सम्मन तामील नहीं किया गया। यहां बता दें कि एसआइटी जांच में यह घोटाला तीन सौ करोड़ से अधिक का बताया गया है। डीपी समेत अन्य पर सोमवार को तय होंगे आरोपः एनएच मुआवजा घोटाले में मुख्य आरोपित माने जा रहे निलंबित पीसीएस डीपी सिंह समेत 11 अन्य के खिलाफ एंटी करप्शन कोर्ट सोमवार को आरोप तय करेगी। इसको लेकर अभियोजन पक्ष की ओर से तैयारी पूरी की गई है।
हाईकोर्ट से इस घोटाले के तमाम आरोपितों को जमानत मिल चुकी है मगर डीपी सिंह को जमानत नहीं मिली है। एसआइटी की ओर से चार्जशीट दायर करने में देरी से अभियोजन पक्ष के समक्ष दिक्कत हो सकती है। जानकारों के अनुसार यदि जल्द चार्जशीट दायर हो जाती तो आरोप तय होने के बाद एक साथ गवाहियां शुरू हो जाती। इससे आरोपितों को कानूनी तौर पर बचाव के मौके कम मिलते।