मौनी अमावस्या पर बहुत कम लोग स्नान करने हरिद्वार पहुंचे। अधिकांश श्रद्धालु शहर के ही स्नान को हरकी पैड़ी पहुंचे। इसके साथ ही मायापुर स्थित नारायणी शिला में भी लोगों ने पित्रों की शांति को लेकर पूजा की। इस स्नान में कम श्रद्धालु ही हरकी पैड़ी पहुंचते हैं।
सोमवार को मौनी अमावस्या पर हरकी पैड़ी के घाटों पर श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर पूजा अर्चना की। कड़ाके की ठंड के कारण बहुत कम लोग स्नान हरकी पैड़ी पहुंचें। मौनी अमावस्या को पीपल के पेड़ की पूजा करना और परिक्रमा करके धागा लपेटने का भी चलन है। माना जाता है कि इस दिन स्नान-दान से कई गुना शुभ फल प्राप्त होता है। श्राद्ध एवं पितृ तर्पण के लिए भी इस अमावस्या को महत्वपूर्ण माना गया है। सुबह सात बजे तक हर की पैड़ी कोहरे की आगोश में रही। दोपहर एक बजे बाद हल्की धूप खिली।
उधर, सुबह से ही नारायणी शिला में पूजा अर्चना को भीड़ उमड़नी शुरू हो गई थी। लोगों ने अपने पित्रों की निमित्त श्राद्ध किया। नारायणी शिला के पुरोहित मनोज कुमार शास्त्री का कहना है कि जो व्यक्ति यहां अपने पित्रों के निमित्त श्राद्ध करता है वह अपने पित्रों को मोक्ष प्रदान कराता है। अगर यहां सोमवती न होने के कारण कल भोमवती का विशेष महत्व हो जाएगा। मंगलवार वाली अमवस्या को भोमवती कहा जाता है। सोमवती की तरह ही भोमवती का महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन देवता भी गंगा स्नान को आते है।
आज सुबह 11.15 तक होगा स्नान
भारतीय प्राच विद्या सोसाइटी कनखल के अध्यक्ष प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि इस बार दो दिनों तक ये अमावस्या का योग होगा। सोमवार को 2.15 दोपहर के बाद अमावस्या आ जायेगी जो की 1 फरवरी को 11.15 तक रहेगी। मंगलवार को महोदय योग मौनी अमावस्या होगी। जो कोई बड़ा पद दिलाने में सहायक होती है