रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आज कहा कि समाज की उन्नति और उत्थान से ही विकास का सपना साकार होगा। श्री दास ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि हर काम केवल सरकार से संभव नहीं है। राज्य में कुपोषण बड़ी समस्या है। मातृत्व मृत्युदर और शिशु मृत्यु दर में कमी लानी है। वर्ष 2022 तक झारखंड को कुपोषण मुक्त बनाना है। इसमें कंपनियों के साथ ही सामाजिक संगठनों का भी सहयोग जरूरी है।
कंपनियों के कॉर्पोरेट-सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) फंड से भी इस काम में मदद ली जायेगी। उन्होंने कहा कि जबतक समाज की उन्नति और उत्थान नहीं होगा तब तक विकास की परिकल्पना पूर्ण नहीं हो सकती। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी एवं दलित बाहुल्य क्षेत्रों में इसकी जरूरत सबसे ज्यादा है। समाज कल्याण क्षेत्र में तेजी से विकास करने के लिए 2015 में सरकार ने पहली बार देश में अनोखा प्रयोग करते हुए सीएसआर परिषद, का गठन किया। इसमें कंपनियों के सीएसआर कोष में से राशि जमा कर राज्य सरकार की प्राथमिकताओं पर खर्च किये गये। इसका सकारात्मक असर दिखा।
श्री दास ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अशिक्षा के कारण लोगों को समुचित पोषण नहीं मिल पाता है। इससे शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। वर्ष 2022 तक राज्य से कुपोषण समाप्त करना है इसके लिए हर साल 4-5 जिलों का चयन कर उन्हें कुपोषण से मुक्त कराया जायेगा। यदि ईमानदारी और समर्पण के साथ काम किया जाये, तो सफलता आवश्य मिलेगी। पोषण के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए राज्य सरकार पाठ्यक्रम में भी इसे शामिल करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की है। इसमें राज्य की 80 प्रतिशत आबादी से बिना कोई प्रीमियम लिए उन्हें इससे जोड़ा जायेगा। इसके बाद गरीब से गरीब व्यक्ति को भी इलाज के लिए दो लाख रुपये की स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध होगी। इसकी शुरुआत 15 नवंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा किया जायेगा। इसके अलावा भी सरकार असाध्य रोगों के इलाज के लिए गरीबों को 3-4 लाख रुपये की सहायता उपलब्ध करा रही है।
इस कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव अमित खरे, उद्योग सचिव सुनील वर्णवाल, झारखंड स्टेट न्यूट्रिशियन मिशन के महानिदेशक डी.के.सक्सेना, यूनिसेफ की झारखंड प्रमुख डॉ. मधुलिका जोनाथन, उद्योग निदेशक के.रविकुमार, पद्मश्री बलवीर दत्त समेत अन्य ज्यूरी सदस्य, कंपनियों के प्रतिनिधि, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि समेत अन्य लोग उपस्थित थे।