पश्चिम बंगाल सरकार ने निर्वाचन आयोग (ईसी) को बताया है कि उसने नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी को सुरक्षा मुहैया करायी है। इस विधानसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी और भाजपा के शुभेंदु अधिकारी के बीच कड़ा चुनावी मुकाबला हुआ था।
बनर्जी अपने पूर्व समर्थक और अब भाजपा नेता अधिकारी से 1956 वोटों के अंतर से हार गयीं। सोमवार को तृणमूल नेता ने आरोप लगाया था कि नंदीग्राम के निर्वाचन अधिकारी ने उनके अनुरोध के बाद भी मतों की फिर से गिनती करने का आदेश नहीं दिया क्योंकि उन्हें अपनी जान का डर था।
सूत्रों ने बताया कि निर्वाचन आयोग के निर्देश पर निर्वाचन अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से और घर पर भी सुरक्षा मुहैया करायी गयी है। ऐसी खबरें हैं कि वह अपने कर्तव्य का निर्वहन करने के दौरान गहरे दबाव में थे। आयोग ने मंगलवार को फिर पश्चिम बंगाल सरकार को पत्र लिखकर उसे संबंधित अधिकारी को दी गयी सुरक्षा पर नियमित आधार पर कड़ी नजर रखने के लिए सभी उपयुक्त कदम उठाने को कहा था।
आयोग ने यह भी कहा कि अधिकारी को उपयुक्त चिकित्सकीय सहयोग एवं परामर्श उपलब्ध कराया जाए। इस पत्र का हवाला देते हुए सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार से कहा गया है कि किसी भी दबाव या नुकसान या ऐसी कोई धारणा या विमर्श का चुनाव के दौरान तैनात की गयी मशीनरी पर गंभीर प्रभाव होंगे।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पहले ही यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि निर्धारित दिशानिर्देशों के तहत ईवीएम, वीवीपीएटी मशीन, वीडियो रिकार्डिंग, मतगणना रिकार्ड समेत सभी चुनाव रिकार्ड सुरक्षित ढंग से रखे जाएं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी जरूरत पड़ने पर ऐसे स्थानों पर अतिरिक्त सुरक्षा के लिए राज्य सरकार के साथ तालमेल के साथ काम करेंगे। चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी की ओर से लगाए गए मतगणना में गड़बड़ी के आरोपों को भी खारिज कर दिया है।
आयोग ने कहा है कि सभी काउंटिंग टेबल पर एक माइक्रो ऑब्जर्वर था और उन्होंने अपनी रिपोर्ट्स में किसी तरह की गड़बड़ी का कोई संकेत नहीं दिया है। सभी राउंड के बाद आरओ ने सभी प्रत्याशियों को मिले वोट की संख्या की एंट्री की थी और इसे डिस्पले बोर्ड पर दर्शाया गया था, जिसे काउंटिंग एजेंट आसानी से देख सकते थे। पूरी काउंटिंग प्रक्रिया के दौरान किसी ने कोई शंका नहीं जाहिर की थी और पूरी प्रक्रिया बिना किसी रुकावट के चली। हर राउंड के बाद सभी एजेंट को रिजल्ट की कॉपी दी जा रही थी।
चुनाव आयोग ने मीडिया में आई उन रिपोर्ट्स को खारिज किया है जिनमें कहा गया है कि नंदीग्राम में दोबारा काउंटिंग होगी। आयोग ने कहा है कि किसी विधानसभा क्षेत्र में रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) आरपी एक्ट, 1951 के तहत अर्ध-न्यायिक क्षमता में स्वतंत्र रूप से और चुनाव आयोग के गाइडलाइंस के आधार पर अपने काम को अंजाम देते हैं।
चुनाव आयोग ने कहा है कि नियम के आधार पर यदि दोबारा गिनती की मांग की जाती है तो रिटर्निंग ऑफिसर उसे स्वीकार कर सकते हैं या असंगत लगने पर खारिज कर सकते हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि आरओ के फैसले को आरपी एक्ट 1951 की धारा 80 के तहत चुनाव याचिका के जरिए ही चुनौती दी जा सकती है।
चुनाव आयोग ने मंगलवार को जारी बयान में कहा, ”नंदीग्राम में गिनती खत्म होने के बाद एक प्रत्याशी के इलेक्शन एजेंट ने दोबारा मतगणना की मांग की थी जिसे आरओ ने अपने सामने मौजूद तथ्यों को देखते हुए मौखिक आदेश में खारिज कर दिया। इसके बाद परिणाम की घोषणा की गई थी। ऐसे मामले में अब हाई कोर्ट में ईपी दायर करने का ही विकल्प बचता है।