झारखंड की खनन सचिव पूजा सिंघल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने खूंटी में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) निधि के कथित गबन और अन्य संदिग्ध वित्तीय लेन देन के मामले में बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की 2000-बैच की अधिकारी को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की प्रासंगिक धाराओं के तहत ईडी ने लगातार दो दिन की पूछताछ के बाद हिरासत में लिया। सूत्रों ने दावा किया कि सिंघल जवाब देने में “टालमटोल” कर रही थीं जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार किया गया।
ईडी ने उन्हें विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किया और जहां से उन्हें पांच दिनों की हिरासत में भेज दिया गया। ईडी के वकील बीएमपी सिंह ने कहा कि सिंघल को जेल भेज दिया गया है और बृहस्पतिवार से रिमांड पर लिया जाएगा।
अधिकारी दूसरे दिन पूछताछ के लिये पूर्वाह्न करीब 10 बजकर 40 मिनट पर रांची के हिनू इलाके में एजेंसी के क्षेत्रीय कार्यालय पहुंचीं थीं और शाम करीब पांच बजे उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
इससे पहले, मंगलवार को भी सिंघल करीब नौ घंटे तक ईडी दफ्तर में थीं जहां उनका बयान दर्ज किया गया था। सूत्रों ने कहा कि कम से कम तीन मौकों पर उनके कारोबारी पति अभिषेक झा का बयान भी मामले में दर्ज किया गया है।
गिरफ्तारी पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार को “इस विषय में जो भी कानूनी कार्रवाई करनी होगी, वह शुरू करेगी।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि कथित अनियमितताएं “भाजपा के कार्यकाल के दौरान हुईं और इसकी जांच होनी चाहिए।” सोरेन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में ही 2017 में उन्हें ‘क्लीन चिट’ दी गई थी। उन्हें क्लीन चिट देने वालों की जांच होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा, “आप (भाजपा) उनसे गलत काम करवाते हैं और आप ही उन्हें क्लीन चिट देते हैं।”
दूसरी ओर, भाजपा ने झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और गिरफ्तार आईएएस अधिकारी को निलंबित करने की मांग की।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य दीपक प्रकाश ने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार ने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
दंपत्ति से कथित तौर पर जुड़े चार्टर्ड अकाउंटेंट व वित्तीय सलाहकार सुमन कुमार के बाद यह इस मामले में हुई दूसरी गिरफ्तारी है। कुमार को ईडी ने सात मई को गिरफ्तार किया था। इससे एक दिन पहले उनके परिसरों और विभिन्न राज्यों में अन्य जगहों पर केंद्रीय एजेंसी ने छापेमारी की थी।
सिंघल और अन्य के खिलाफ ईडी की जांच धन शोधन के उस मामले से संबंधित है जिसमें झारखंड सरकार में पूर्व कनिष्ठ अभियंता राम बिनोद प्रसाद सिन्हा को एजेंसी ने 17 जून, 2020 को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया था। एजेंसी ने सिन्हा को 2012 में पीएमएलए के तहत दर्ज राज्य सतर्कता ब्यूरो की प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद गिरफ्तार किया था।
सिन्हा के खिलाफ जनता के धन की हेराफेरी करने के आरोप में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। सिन्हा ने इस धन को एक अप्रैल 2008 से 21 मार्च 2011 तक कनिष्ठ अभियंता के रूप में काम करते हुए अपने तथा अपने परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर निवेश किया था।
एजेंसी ने पहले कहा था कि उक्त धन को खूंटी जिले में मनरेगा के तहत सरकारी परियोजनाओं के निष्पादन के लिए रखा गया था। सिन्हा ने ईडी से कहा, ‘‘उन्होंने जिला प्रशासन को पांच प्रतिशत कमीशन (धोखाधड़ी किए गए धन में से) का भुगतान किया।’’
ईडी ने आरोप लगाया कि सिंघल के खिलाफ उस अवधि में ‘‘अनियमितताएं करने’’ के आरोप लगाए गए हैं जब उन्होंने 2007 और 2013 के बीच चतरा, खूंटी और पलामू के उपायुक्त/जिला मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य किया था।
एजेंसी ने इस मामले में कुमार को छह मई को उसके परिसर से 17 करोड़ रुपये से अधिक नकदी जब्त करने के बाद गिरफ्तार किया था। अधिकारियों ने कहा कि सभी ठिकानों से कुल 19.31 करोड़ रुपये की बरामदगी की गई थी।
झारखंड के निर्दलीय विधायक और भाजपा के पूर्व मंत्री सरयू राय ने कहा कि सिंघल के खिलाफ 24 करोड़ रुपये के उसी मनरेगा घोटाले में कार्रवाई की जा रही है जिसमें “2014-19 की डबल इंजन सरकार” ने उन्हें क्लीन चिट दी थी।
राय ने ट्वीट किया, “इसमें उनपर पांच फीसदी कमीशन लेने का आरोप है,जो 1.20 करोड़ रुपये होता है। पर उनके सीए के यहां पकड़ा गया 19 करोड़ रुपये। क्या यह धन क्लीन चिट देने वालों के समय का है?’’