एल्गार परिषद केस : स्टेन स्वामी ने सरकार गिराने के लिए माओवादियों के साथ मिलकर साजिश रची - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

एल्गार परिषद केस : स्टेन स्वामी ने सरकार गिराने के लिए माओवादियों के साथ मिलकर साजिश रची

एनआईए कोर्ट ने सोमवार को एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में गिरफ्तार आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्वामी को जमानत देने से इंकार कर दिया था।

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक स्पेशल कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया लगता है कि स्टेन स्वामी ने देश में अशांति पैदा करने और सरकार को गिराने के लिए प्रतिबंधित माओवादी संगठन के सदस्यों के साथ मिलकर “गंभीर साजिश” रची थी। एनआईए कोर्ट ने सोमवार को एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में गिरफ्तार आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्वामी को जमानत देने से इंकार कर दिया था।
याचिका खारिज करने वाले विशेष न्यायाधीश डीई कोथलकर ने कहा कि उनका आदेश रिकॉर्ड पर लाई गई सामग्री पर आधारित है जिससे लगता है कि स्वामी प्रतिबंधित माओवादी संगठन के सदस्य हैं। उनका आदेश मंगलवार को उपलब्ध हुआ है। कोर्ट ने जिस सामग्री का हवाला दिया है, उसमें करीब 140 ईमेल हैं जिनका स्वामी और उनके सहआरोपी के बीच आदान प्रदान हुआ है। 
तथ्य यह है कि स्वामी और अन्य लोगों के साथ उन्होंने संवाद किया, उन्हें ‘कॉमरेड’ कह कर संबोधित किया गया है और स्वामी को मोहन नाम के एक कॉमरेड से माओवादी गतिविधियों को कथित रूप से आगे बढ़ाने के लिए आठ लाख रुपये मिले। न्यायाधीश कोथलकर ने अपने आदेश में कहा, “प्रथम दृष्टया यह पाया जा सकता है कि आवेदक ने प्रतिबंधित संगठन के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर पूरे देश में अशांति पैदा करने और सरकार को राजनीतिक रूप से और ताकत का उपयोग कर गिराने के लिए एक गंभीर साजिश रची थी।” 
आदेश में कहा गया है, “ रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री से प्रथम दृष्टया स्पष्ट है कि आवेदक न केवल प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) का सदस्य था बल्कि वह संगठन के उद्देश्य के मुताबिक गतिविधियों को आगे बढ़ा रहा था जो राष्ट्र के लोकतंत्र को खत्म करने के अलावा और कुछ नहीं है।” स्वामी को अक्टूबर 2020 को रांची से गिरफ्तार किया गया था और तब से वह नवी मुंबई की तलोजा केंद्रीय जेल में बंद है। न्यायाधीश ने इस मामले में स्वामी की सह आरोपी रोना विल्सन के कंप्यूटर के साथ कथित छेड़छाड़ को लेकर प्रकाशित एक रिपोर्ट का भी संज्ञान लेने इनकार कर दिया। 
उन्होंने कहा कि मामले में साक्ष्य की प्रामाणिकता पर सवाल उठाना कोर्ट की कार्यवाही में दखल अंदाजी के समान होगा। स्वामी ने पिछले साल नवंबर में चिकित्सा आधार और मामले के गुण दोष के आधार पर जमानत के लिए आवेदन किया था। उन्होंने अपनी याचिका में दलील दी थी कि वह पार्किंसंस रोग से पीड़ित हैं और वह दोनों कानों से सुन नहीं सकते हैं। स्वामी ने यह भी दलील दी थी कि तलोजा जेल में रहने के दौरान उन्हें उनकी खराब सेहत की वजह से जेल अस्पताल में स्थानांतरित किया जाए। 
स्वामी के वकील शरीफ शेख ने स्पेशल कोर्ट से कहा था कि आरोपी के हवाई मार्ग से फरार होने या जमानत के उल्लंघन का कोई खतरा नहीं है। स्वामी ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि उनका नाम मूल प्राथमिकी में नहीं था, लेकिन पुलिस ने उनका नाम एक संदिग्ध आरोपी के रूप में 2018 के रिमांड आवेदन में शामिल किया था। शेख ने दलील दी कि एनआईए रांची में उनके घर पर की गई छापेमारी में स्वामी के खिलाफ कुछ भी दोषी ठहाने वाली सामग्री पाने में नाकाम रही थी। 
कोर्ट ने कहा कि स्वामी का नाम शुरुआती प्राथमिकी में नहीं था लेकिन यह उन्हें किसी भी राहत के लिए पात्र नहीं बनाता। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि आवेदक की उम्र अधिक होने या कथित बीमारी भी उनके पक्ष में नहीं जाती है।
न्यायाधीश ने इसके लिए उच्चतम न्यायालय के पूर्व निर्णयों का हवाला दिया। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

9 + 17 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।