इंदौर नगर निगम के अधिकारी को क्रिकेट बल्ले से पीटने के बहुचर्चित मामले और एक अन्य प्रकरण में जमानत मिलने पर रविवार सुबह जिला कारागार से छूटने के बाद स्थानीय भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय ने कहा कि जेल जाने का उनका पहला अनुभव अच्छा रहा।
विजयवर्गीय ने जेल से छूटने के बाद कहा, “मैं अपने जीवन में पहली बार जेल गया था। लेकिन जेल में रहने का अनुभव अच्छा रहा। जेल के अंदर मेरा समय बहुत अच्छा बीता। हालांकि, जेल से बाहर आकर मुझे खुशी है क्योंकि मुझे जनता के लिये अपने अधूरे काम को आगे बढ़ाना है।”
इसके अलावा भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय ने आगे कहा कि ऐसी स्थिति में जब एक महिला को पुलिस के सामने घसीटा जा रहा था, मैं कुछ और करने के बारे में सोच भी नहीं सकता था, जो मैंने किया था उस पर शर्मिंदा नहीं हूं। लेकिन मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि ‘वो दोबारा बल्लेबाजी करने का कोई अवसार ना दे।
इस कारण गए थे जेल
बता दें कि आकाश विजयवर्गीय (34) भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे हैं। शहर के गंजी कम्पाउंड क्षेत्र में एक जर्जर भवन ढहाने की मुहिम के विरोध के दौरान बुधवार को बड़े विवाद के बाद भाजपा विधायक ने नगर निगम के एक भवन निरीक्षक को क्रिकेट के बल्ले से पीट दिया था।
अधिकारियों ने बताया कि इस विवादग्रस्त मकान को नगर निगम जल्द ही ढहाने की तैयारी कर रहा है, क्योंकि बारिश के मौसम में यह बरसों पुरानी इमारत जान-माल के लिये खतरनाक साबित हो सकती है। इस बारे में पूछे जाने पर भाजपा विधायक ने कहा, “मुझे इस सिलसिले में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है। मैं इस बारे में पता लगाता हूं। हालांकि, मैं आगे भी जनता के मुद्दों के लिये संघर्ष करता रहूंगा।”
भोपाल की एक विशेष अदालत ने बल्ला कांड और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का पुतला फूंकने के अलग-अलग मामलों में विजयवर्गीय की जमानत अर्जी शनिवार शाम मंजूर की थी। जिला जेल की अधीक्षक अदिति चतुर्वेदी ने बताया, “हमें विजयवर्गीय को जमानत पर रिहा करने का अदालती आदेश शनिवार रात 11 बजे के आस-पास मिला। तय औपचारिकताएं पूरी कर उन्हें रविवार सुबह जेल से छोड़ दिया गया।”
उन्होंने बताया, “शनिवार को लॉक-अप के शाम सात बजे के नियत समय तक हमें विजयवर्गीय को जमानत पर रिहा करने का अदालती आदेश नहीं मिला था। लिहाजा जेल नियमावली के मुताबिक हम उन्हें शनिवार रात रिहा नहीं कर सकते थे।”
जेल शब्दावली के मुताबिक नियमित गिनती के बाद कैदियों को कारागार के भीतरी परिसर से दोबारा कोठरी में भेजकर बंद किये जाने को ‘लॉक-अप’ करना कहा जाता है। चतुर्वेदी ने बताया कि विजयवर्गीय बल्ला कांड में गिरफ्तारी के बाद एक स्थानीय अदालत के आदेश पर जिला जेल में न्यायिक हिरासत के तहत बुधवार देर शाम से बंद थे।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जेल में बंद रहने के दौरान भाजपा विधायक को मुख्यमंत्री का पुतला जलाने के पुराने मामले में बृहस्पतिवार को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया था। अघोषित बिजली कटौती को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं ने विजयवर्गीय की अगुवाई में चार जून को शहर के राजबाड़ा चौराहे पर प्रदर्शन के दौरान यह पुतला फूंका था, लेकिन इस प्रदर्शन के लिये प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गयी थी।
इस पर विजयवर्गीय और भाजपा के अन्य प्रदर्शनकारियों के खिलाफ भारतीय दण्ड विधान की धारा 188 (किसी सरकारी अधिकारी के आदेश की अवज्ञा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी।