मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 16 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर छह फरवरी से अंतिम सुनवाई शुरू होगी। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार तब तक नये कानून के तहत अपने किसी भी विभागों में कोई भी नियुक्ति नहीं करेगी।
न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने कहा कि वह 28 जनवरी को फैसला करेगी कि मराठा आरक्षण पर पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा सौंपी गयी रिपोर्ट की पूरी प्रति या संक्षिप्त अंश याचिकाकर्ताओं को देना चाहिए। सरकारी वकील वी. ए. थोराट और राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने याचिकाकर्ताओं को समूची रिपोर्ट देने को लेकर शंका प्रकट की थी।
कुंभकोनी ने कहा, ‘‘हम 4000 पन्नों वाली समूची रिपोर्ट अदालत को सौंपने के लिए तैयार हैं। हालांकि, इस रिपोर्ट में 20 पन्ने मराठा समुदाय के इतिहास के बारे में है, जिसे हम सार्वजनिक नहीं करना चाहते। हमें डर है कि इससे सांप्रदायिक तनाव फैलेगा और कानून व्यवस्था की दिक्कतें होगी।’’ पीठ ने राज्य को बुधवार को समूची रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया था।