अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) नेता और तमिलनाडु विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष पी.एच. पांडियन का शनिवार सुबह यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह बीमार चल रहे थे। पेशे से वकील पांडियन 1985-1989 तक तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष रहे। वह 1977, 1980 और 1984 में अपने पैतृक चेरान्मादेवी विधानसभा सीट से विधायक चुने गए।
पांडियन 1987 में तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने विधायिका की अवमानना के मामले में तमिल पत्रिका आनंदा विकटन के मालिक एस. बालासुब्रह्मण्यम को जेल भेजने के मामले में कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष के पास ‘बहुत शक्ति’ होती है। पत्रिका में एक विवादित कार्टून प्रकाशित हुआ था। पांडियन ने मद्रास हाईकोर्ट द्वारा जारी समनों को स्वीकार करने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि वह विधानसभा अध्यक्ष हैं।
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अन्नाद्रमुक की महासचिव जे. जयललिता के निधन के बाद शशिकला नटराजन का विरोध करने वालों में वह भी थे। पांडियन के निधन पर तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन ने कहा कि तमिलनाडु विधानसभा और लोकसभा मेंउन्होंने दक्षिणी तमिलनाडु का मजबूती से प्रतिनिधित्व किया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(भाकपा) की तमिलनाडु इकाई के सचिव आर. मुथरासन ने भी पांडियन के निधन पर शोक जताया है।