ट्विटर इंडिया के प्रमुख मनीष माहेश्वरी को गाजियाबाद पुलिस ने एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति पर हमले की जांच के सिलसिले में तलब किया था लेकिन वह उसके सामने पेश नहीं हुए। वहीं कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को गाजियाबाद पुलिस को माहेश्वरी के खिलाफ कठोर कार्रवाई शुरू करने से रोक दिया।
न्यायमूर्ति जी नरेंद्र की एकल पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि पुलिस डिजिटल तरीके से माहेश्वरी से पूछताछ कर सकती है। पीठ ने कहा, 'अगर पुलिस याचिकाकर्ता (मनीष माहेश्वरी) से पूछताछ करना चाहती है, तो वे डिजिटल तरीके से ऐसा कर सकते हैं।'
अदालत ने कहा, 'अगर इस मामले में विचार करने की आवश्यकता है, तो हम इसे 29 जून के लिए सूचीबद्ध करते हैं। इस बीच प्रतिवादियों पर याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई भी कठोर कार्रवाई शुरू करने से रोक है।'
पीठ ने कहा, 'याचिकाकर्ता का यह कहना है कि उन्होंने डिजिटल तरीके से शामिल होने के लिए सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस का जवाब दिया है। प्रतिवादी (गाजियाबाद पुलिस) ने अनुरोध पर आपत्ति जताते हुए इसे अस्वीकार कर दिया और धारा 41 (ए) के तहत नोटिस जारी कर आरोपी की श्रेणी में डाल दिया।’’
ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक बेंगलुरु में रहते हैं और गाजियाबाद पुलिस ने उन्हें 21 जून को नोटिस जारी किया था तथा मामले में अपना बयान दर्ज करने के लिए बृहस्पतिवार सुबह 10.30 बजे लोनी बॉर्डर थाने में रिपोर्ट करने के लिए कहा था।
गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित पाठक ने इससे पहले पीटीआई-भाषा से कहा, ''वह (माहेश्वरी) आज नहीं आ रहे हैं।’’ पाठक ने कहा कि गाजियाबाद पुलिस को पता चला है कि ट्विटर इंडिया के एमडी ने इस मामले के संबंध में कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है और उस पर फैसला लंबित है।
अदालत का फैसला शाम में चार बजे के बाद आया।
गाजियाबाद पुलिस ने 15 जून को ट्विटर इंक, ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया, समाचार वेबसाइट द वायर, पत्रकार मोहम्मद जुबैर और राणा अय्यूब के अलावा कांग्रेस नेताओं सलमान निजामी, मस्कूर उस्मानी, शमा मोहम्मद और लेखिका सबा नकवी के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
उन लोगों के खिलाफ एक वीडियो प्रसारित होने को लेकर मामला दर्ज किया गया था, जिसमें बुजुर्ग अब्दुल शमद सैफी ने दावा किया है कि कुछ युवकों ने उनकी कथित रूप से पिटाई की और पांच जून को उन्हें 'जय श्री राम' का नारा लगाने के लिए भी कहा।
पुलिस ने दावा किया है कि वीडियो सांप्रदायिक अशांति पैदा करने के लिए साझा किया गया था।
माहेश्वरी की ओर से पेश वकील सी वी नागेश ने कहा कि किसी ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि एक मुस्लिम को 'जय श्री राम' और 'वंदे मातरम' का नारा लगाने के लिए मजबूर किया गया था तथा मना करने पर उनकी दाढ़ी काट दी गयी।
उन्होंने कहा कि इसके बाद माहेश्वरी को सीआरपीसी की धारा 161 के तहत ईमेल से नोटिस जारी किया गया। इसके जवाब में वह पेश होने के लिए वस्तुतः तैयार हैं। उन्होंने अदालत से कहा कि जल्दी ही पुलिस ने धारा 41 (ए) के तहत नोटिस जारी कर उन्हें बेंगलुरू से गाजियाबाद की यात्रा कर 24 घंटे के भीतर व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिये कहा जो माहेश्वरी के लिए संभव नहीं था।
उन्होंने दलील दी कि जब अदालत की कार्यवाही डिजिटल हो रही है, तो उनके मुवक्किल से डिजिटल तरीके से पूछताछ क्यों नहीं की जा सकती।
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ट्विटर कम्युनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी हैं जो मार्केटिंग और बिक्री से संबंधित है तथा वह निदेशक मंडल के सदस्य नहीं है जो उस कथित वीडियो को अपलोड करने के लिए जिम्मेदार हैं जिसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई है।
अदालत ने इस तथ्य पर गौर किया कि आरोप यह है कि आरोपी संख्या आठ और नौ द्वारा ट्विटर मंच पर एक वीडियो अपलोड किया गया था और इससे याचिकाकर्ता का कोई लेना-देना नहीं है।