देश का खूबरसूरत राज्य और पर्यटन के क्षेत्र के लिए विश्वभर में मशहूर गोवा इस समय एक अलग ही तरह के संकट से जूझ रहा है। गोवा का विपक्षी दल गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के अध्यक्ष विजय सरदेसाई ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताते हुए इसमें कोई बड़ा कदम उठाने की जरुरत बताई थी।
इस पर मोदी सरकार में केंद्रीय बंदरगाह राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने गौर फरमाते हुए जीएफपी प्रमुख विजय सरदेसाई को लिखे एक पत्र में कहा कि वह गोवा को कथित रूप से ‘कोयला केंद्र’ बनाए जाने के मामले का संज्ञान लेंगे और राज्य के हित में फैसला करेंगे।
सरदेसाई ने 18 जुलाई को नाइक को लिखे पत्र में आरोप लगाया था कि गोवा ‘‘कोयला ढुलाई केंद्र में तब्दील होने के बढ़ते खतरे’’ का सामना कर रहा है, जिसका राज्य एवं उसके नागरिकों को कोई लाभ नहीं है। उन्होंने दावा किया कि यह राज्य की पारिस्थितिकी और पर्यावरण के लिए आपदा का कारण बनेगा।
सरदेसाई ने 18 जुलाई को नाइक को लिखे पत्र में आरोप लगाया था कि गोवा ‘‘कोयला ढुलाई केंद्र में तब्दील होने के बढ़ते खतरे’’ का सामना कर रहा है, जिसका राज्य एवं उसके नागरिकों को कोई लाभ नहीं है। उन्होंने दावा किया कि यह राज्य की पारिस्थितिकी और पर्यावरण के लिए आपदा का कारण बनेगा।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मोरमुगांव पत्तन न्यास (एमपीटी) प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम-2021 का उपयोग लगभग पूरे समुद्र तट और सभी नदी तटों को हथियाने के लिए कर रहा है।’’ उत्तरी गोवा से भाजपा सांसद नाइक ने इसके जवाब में कहा कि वह सरदेसाई द्वारा उठाए गए मामले की समीक्षा करेंगे और राज्य के हित में फैसला करेंगे।