गुजरात के भरूच से बीजेपी सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मनसुख वसावा ने मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से मुलाकात के बाद अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। मुख्यमंत्री और वसावा के बीच चली 45 मिनट की बैठक के बाद भरूच सांसद ने अपना फैसला वापस ले लिया। वसावा ने इको सेंसेटिव जॉन के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दिया था।
वसावा ने 28 दिसंबर को गुजरात के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सी.आर पाटिल को पत्र लिखकर अपने इस्तीफे के फैसले की जानकारी दी थी। पत्र में वसावा ने कहा, मेरी गलतियों से पार्टी को नुकसान ना हो इसलिए इस्तीफा दे रहा हूं। उन्होंने पार्टी के साथ वफ़ादारी निभाई है।
साथ ही पार्टी और जिंदगी के सिद्धांत का पालन करने में बहुत सावधानी रखी है, लेकिन आखिरकार मैं एक इंसान हूं और इंसान से गलती हो जाती है, इसलिए मैं पार्टी से इस्तीफा देता हूं। वसावा ने ये भी कहा कि लोकसभा सत्र शुरू होने से पहले वो सांसद पद से भी इस्तीफा दे देंगे। हालांकि मनसुख वसावा अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे है।
गुजरात के सीएम विजय रूपाणी को पत्र लिखकर वसावा ने कहा था कि गुजरात में आदिवासी महिलाओं की तस्करी हो रही है। इसके अलावा उन्होंने पीएम मोदी को भी एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के आसपास इको-सेंसेटिव जोन रद्द करने की मांग की थी।
पत्र में अपने इस आवेदन के पीछे मनसुव वसावा ने इलाके के आदिवासी समुदाय के विरोध को कम करने की वजह बताई थी। मनसुख वसावा खुद एक आदिवासी नेता हैं और वो इस समुदाय की लंबे समय से राजनीति करते आए है।