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हरीश रावत बोले-राहुल गांधी को फिर संभालनी चाहिए पार्टी की कमान, लड़ाई में ‘सेनानायक’ की पड़ेगी जरूरत

हरीश रावत ने कहा, “इस समय हमको वाररूम शैली की लड़ाई नहीं लड़नी है। कोरोना के बाद हमें मैदान में उतरकर लड़ाई लड़नी है। इस लड़ाई में सबको उतरना पड़ेगा, लेकिन सेनानायक तो होना चाहिए।”

राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की मांग करते हुए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कि कोरोना महामारी से देश के उबरने के बाद कांग्रेस को जमीन पर उतरकर लड़ाई लड़नी है और राहुल गांधी को फिर से पार्टी की कमान संभाल लेनी चाहिए क्योंकि इस लड़ाई में ‘सेनानायक’ की जरूरत पड़ेगी। 
ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने और सचिन पायलट की बगावत के संदर्भ में उन्होंने कहा कि अगर ये युवा नेता कुछ वर्षों तक संयम का परिचय देते तो मुख्यमंत्री पद इनसे दूर नहीं था। रावत ने कहा, ‘‘बीजेपी में जाने वाले किसी व्यक्ति की मुख्यमंत्री बनने की अकांक्षा पूरी नहीं होने जा रही है। इन्हें वो स्थान, महत्व और अवसर नहीं मिलने जा रहा है जो कांग्रेस में मिल रहा था।’’ 
उनके मुताबिक, मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को अगले दो-तीन साल में मुख्यमंत्री बनने से कोई ताकत नहीं रोक सकती थी, क्योंकि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह उम्र के जिस पड़ाव में थे, उसमें सिंधिया के लिए संयम ही उनके लिए मुख्यमंत्री पद लेकर आता। उन्होंने कहा, ‘‘यही चीज सचिन पायलट पर लागू होती है। यदि सचिन आज संयम रख जाते हैं तो उनके उज्ज्वल भविष्य को भी कोई नहीं रोक सकता था।’’ 
यह पूछे जाने पर कि क्या इस समय राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनना चाहिए तो 72 वर्षीय रावत ने कहा, ‘‘ बिल्कुल बन जाना चाहिए। इस समय हमको वाररूम शैली की लड़ाई नहीं लड़नी है। कोरोना के बाद हमें मैदान में उतरकर लड़ाई लड़नी है। इस लड़ाई में सबको उतरना पड़ेगा, लेकिन सेनानायक तो होना चाहिए। साथ ही, उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसा नहीं है कि सोनिया जी कमजोर लड़ाई लड़ रही हैं। लेकिन हर चीज की एक सीमा होती है।’’ 
गौरतलब है कि पिछले साल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सोनिया गांधी को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था। इसके बाद से कांग्रेस के कई नेता राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाए जाने की मांग करते रहे हैं। 
हाल में कई युवा नेताओं की नाराजगी और बगावत के संदर्भ में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जब हम लोग युवा नेता के तौर पर पार्टी में आए थे तो उस वक्त राजीव गांधी जी ने हमारे और वरिष्ठ नेताओं के बीच समन्वय स्थापित करने की कोशिश की थी। उस वक्त हम सत्ता में थे और परिस्थितियां भिन्न थीं।’’ 
रावत ने कहा, ‘‘परिस्थितियों की इन्हीं भिन्नताओं के कारण ही आज राहुल गांधी जी जो कर रहे हैं वो उतना सटीक नहीं दिखाई दे रहा है जितना सटीक राजीव गांधी के समय था। आज हमें कामयाबी नहीं मिल पा रही क्योंकि दूसरे पक्ष ने लक्ष्य बनाकर हमें तोड़ने का निश्चय कर रखा है। इसी में कुछ लोग महत्वाकांक्षा के चक्कर में फंस जाते हैं।’’ 
उल्लेखनीय है कि इस साल कुछ महीनों के भीतर कांग्रेस को दो बड़े युवा नेताओं ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट से बड़ा झटका लगा। सिंधिया मार्च महीने में पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए तो पायलट ने हाल ही में राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के खिलाफ बगावत कर दी।

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