हाईकोर्ट ने वनों के मामले पर केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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हाईकोर्ट ने वनों के मामले पर केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब

याचिकाकर्ता ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए इस कदम को गलत ठहराया है। इस मामले में अगली सुनवाई दो जनवरी को होगी।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में छोटे वन क्षेत्रों को वनों की परिधि से बाहर रखने के मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए गुरुवार को केन्द्र और प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर दो जनवरी तक जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं। 
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने ये निर्देश नैनीताल निवासी याचिकाकर्ता विनोद कुमार पांडे की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद दिये हैं। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि पिछले महीने 21 नवम्बर को प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी कर वनों की परिभाषा बदल दी है। शासनादेश के अनुसार प्रदेश में जहां दस हेक्टेअर क्षेत्र से कम एवं 60 प्रतिशत से कम घनत्व वाले वन क्षेत्र हैं उनको उत्तराखंड में लागू राज्य एवं केन्द, की वर्तमान विधियों के अनुसार वनों की श्रेणी बाहर कर दिया गया है। 
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि यह मात्र एक कार्यालयीय आदेश है। इसके लिये मंत्रिमंडल की स्वीकृति नहीं ली गयी है। वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के अनुसार प्रदेश में 71 प्रतिशत वन क्षेत्र घोषित है। इसमें वनों की विभिन्न श्रेणियां घोषित की गयी हैं। 
याचिकाकर्ता की ओर से उच्चतम न्यायालय के गोडा वर्मन बनाम केंद्र सरकार मामले का हवाला देते हुए कहा गया है कि वनों का परिमाण क्षेत्रफल या घनत्व नहीं हो सकता है। सरकार कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिये यह कदम उठा रही है। याचिकाकर्ता ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए इस कदम को गलत ठहराया है। इस मामले में अगली सुनवाई दो जनवरी को होगी।

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