नैनीताल : उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में पॉलीथिन के प्रयोग को हतोत्साहित करने के संबंध में महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है तथा इस संबंध में एकलपीठ के पूर्व के आदेश को रद्द करने से साफ इंकार कर दिया है। गौरतलब है कि अदालत की एकलपीठ ने बागेश्वर जिले में दो व्यवसायियों पर एक पॉलीथिन बैग के बदले 500 रुपये का अर्थदंड लगाने का आदेश दिया था।
अदालत के इस आदेश से राज्य में पॉलीथिन के खिलाफ चल रही मुहिम को बल मिलेगा। बागेश्वर जिले के दो व्यापारियों मदन लाल और निर्मल कुमार साह ने मामले को विशेष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी जिसमें एकलपीठ के आदेश को आधार बनाया गया था। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद 30 जुलाई को आदेश जारी किया था लेकिन फैसले की प्रति सोमवार को उपलब्ध हुई।
अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य में एक जनवरी 2017 से पॉलीथिन की बिक्री, प्रयोग और भंडारण पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार ने कहा था कि आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
एकलपीठ ने भी याचिकाकर्ताओं को राहत देने से मना किया था
अदालत ने कहा कि एकलपीठ ने भी याचिकाकर्ताओं को राहत देने से मना कर दिया है। एकलपीठ ने समझा है कि अर्थदंड कानून का दुरूपयोग करने वालों के लिये एक निवारक का काम करेगा। यह राज्य के पारिस्थितिकी तंत्र को भी सुरक्षित रखने और राज्य की जनता के व्यापक हित में है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि न्यायालय दिसंबर 2016 में राज्य में पालीथीन पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में आदेश पारित कर चुका है।
अदालत के आदेश के बाद राज्य सरकार ने राज्य में एक जनवरी 2017 से पॉलीथिन और थर्मोकोल से बने उत्पादों की बिक्री, प्रयोग और भंडारण पर प्रतिबंध लगाया दिया था। आदेश में यह भी कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को बस, ट्रेन और हवाई यात्रा से पालीथीन ले जाने की अनुमति नहीं होगी। इसके साथ ही अदालत ने विशेष अपील को खारिज कर दिया।