झारखंड हाई कोर्ट में रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले से जुड़ जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से यह बताया गया कि इस मामले की जांच एसआईटी करेगी और टीम का नेतृत्व एडीजी अनिल पालटा ही करेंगे। महाधिवक्ता की ओर से सोमवार को सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि राज्य सरकार इस मामले की जांच एसआईटी से करवाने के पक्ष में है और उस एसआईटी का नेतृत्व वरीय आईपीएस अधिकारी अनिल पालटा ही करेंगे। अदालत ने राज्य सरकार के इस प्रपोजल को स्वीकार करते हुए निर्देश दिया कि एसआईटी अपनी टीम के साथ जांच जारी रखे और समय-समय पर विस्तृत रिपोर्ट अदालत को सीलबंद लिफाफे में दे।
इससे पहले 17 जून को रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि इस मामले की मॉनिटरिंग झारखंड हाई कोर्ट कर रहा है, तो बिना अदालत से पूछे सीआईडी के निवर्तमान एडीजी अनिल पालटा का ट्रांसफर क्यों कर दिया गया,इसकी क्या जरूरत थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि सरकार के इस रवैये के कारण कोर्ट को रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले की जांच सीबीआई से करानी पड़ सकती है।
रेमेडेसिविर की कालाबाजारी में एक व्यक्ति हुआ था गिरफ्तार
बता दें कि एक स्टिंग के बाद रांची पुलिस ने रेमेडेसिविर की कालाबाजारी में राजीव कुमार सिंह नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया था। मामले में कोतवाली थाने में दर्ज कांड को सीआईडी ने टेकओवर किया था। केस का अनुसंधान डीएसपी रैंक के अधिकारी कर रहे हैं, जबकि सीआईडी एडीजी रहते हुए अनिल पालटा केस की मॉनिटरिंग कर रहे थे।
निचली अदालत ने की थी कड़ी टिप्पणी
मामले में अबतक के अनुसंधान पर निचली अदालत ने भी कड़ी टिप्पणी की है. निचली अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि केस में तीन लोगों की भूमिका आयी है, लेकिन सीआईडी का रुख तीनों के खिलाफ काफी अलग अलग है। गौरतलब है कि कालाबाजारी के केस में सीआईडी ने राजीव कुमार सिंह को जेल भेजा था, वहीं इसी कांड में सृष्टि अस्पताल से जुड़े मुकेश कुमार व दवा कारोबारी राकेश रंजन की भी भूमिका आयी थी. लेकिन दोनों में से सीआईडी ने राकेश रंजन का बयान 161 के तहत दर्ज कराया था।