भोपाल (मनीष शर्मा) नवनियुक्त केंद्रीय कैबिनेट मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया। सिंधिया के साथ जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह भी थे, जिन्होंने अपने पूर्ववर्ती हरदीप पुरी से नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया था। सिंधिया ने ऐसे समय में मंत्रालय का कार्यभार संभाला है जब नागरिक उड्डयन क्षेत्र को कोविड महामारी के कारण बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
जिसने समग्र मांग को प्रभावित किया है और इसके परिणामस्वरूप उद्योग के खिलाड़ियों के लिए वित्तीय संकट भी पैदा हो गया है। सरकार राष्ट्रीय वाहक एयर इंडिया के लिए विनिवेश प्रक्रिया को भी आगे बढ़ा रही है। सिंधिया के सामने इस मंत्रालय को ठीक करने की चुनौतियां हैं क्योंकि एयर इंडिया घाटे में है। सिंधिया के सूत्रों का कहना है कि राजनीति के माहिर खिलाड़ी तथा प्रशासनिक कार्यों में दक्ष सिंधिया देश में सिविल एविएशन के मामले में जल्द ही विश्व में अपनी पहचान बनायेंगे।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सिंधिया की राजनीतिक परिपूर्णता और दक्षता का सही इस्तेमाल नहीं कर पाई। कांग्रेस के दिग्विजय सरीखे कई नेता उनके खिलाफ लगातार अंदरुनी विरोध करते रहे जिसके कारण लंबे समय से अपमान झेल रहे सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और मार्च 2020 में भाजपा में शामिल हो गए। उनके इस कदम ने उन घटनाओं की श्रृंखला शुरू कर दी जो अंततः मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के पतन में परिणत हुईं और भगवा पार्टी को सत्ता संभालने का मार्ग प्रशस्त किया, जो 2018 के अंत में हार गई।
1 जनवरी 1971 को जन्मे और हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड संस्थानों में शिक्षित सिंधिया ने 2002 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में अपना पहला चुनाव लड़ने के बाद एक लंबा सफर तय किया, गुना लोकसभा क्षेत्र में एक उपचुनाव, जो अचानक मृत्यु के कारण हुआ था। एक विमान दुर्घटना में उनके पिता माधवराव सिंधिया की। उसके बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया राजनीति में आए तथा उन्होंने अपने पिता के नक्शे कदम पर चल कर पूरे देश में अपनी पहचान बनाई। मध्यप्रदेश में सिंधिया का अच्छा खासा वर्चस्व है जिसका फायदा भाजपा को आने वाले समय में मिलेगा।